कालीन निर्यात में पिछड़ा यूपी, 2020-21 में हरियाणा ने किया 1100 करोड़ से अधिक निर्यात

देश में कालीन उत्पादन का जन्मदाता उत्तर प्रदेश पहली बार निर्यात में पिछड़ गया है। हरियाणा ने इस बार यूपी को पीछे धकेला है। 2020-21 में देश से 13800 करोड़ का कालीन निर्यात हुआ है। इसमें यूपी की भागीदारी 4615 करोड़ जबकि हरियाणा ने 5783 करोड़ का निर्यात किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 07:15 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 07:15 PM (IST)
कालीन निर्यात में पिछड़ा यूपी, 2020-21 में हरियाणा ने किया 1100 करोड़ से अधिक निर्यात
देश में कालीन उत्पादन का जन्मदाता उत्तर प्रदेश पहली बार निर्यात में पिछड़ गया है।

भदोही, कैसर परवेज। देश में कालीन उत्पादन का जन्मदाता उत्तर प्रदेश पहली बार निर्यात में पिछड़ गया है। हरियाणा ने इस बार यूपी को पीछे धकेला है। 2020-21 में देश से 13,800 करोड़ का कालीन निर्यात हुआ है। इसमें यूपी की भागीदारी 4615 करोड़ जबकि हरियाणा ने 5,783 करोड़ का निर्यात किया है। बड़ा कारण हरियाणा में बन रहे सस्ते दरी, कुशन कवर व दरी स्टूल हैं। वे ज्यादातर इन्हीं उत्पादों पर निर्भर हैं। इनकी खपत भी विदशों में काफी अधिक है। वे औसतन एक दरी एक से डेढ़ माह में तैयार कर लेते हैं, जबकि यूपी में इसे बनाने में तीन से साढ़े तीन महीने लगते हैं।

लागत भी अधिक आती है, इसलिये ये महंगे भी हैं। यूपी के मुकाबले दाम मेें दोगुना फर्क होता है लेकिन क्वालिटी बेहद उम्दा होती है। यहां के निर्यातक साल भर में अधिकतम दो राउंड उत्पाद निर्यात कर पाते हैं, जबकि वे इतने ही समय में चार से पांच बार माल भेज लेते हैं। डायरेक्टर जनरल आफ फाॅरेन ट्रेड (डीजीएफटी) की मानें तो यूपी के निर्यात में कमी आने की दुहाई निर्यातक एक दशक पहले से ही दे रहे थे लेकिन गंभीरता से नहीं लिया गया। तीन दशक पहले तक देश के निर्यात में 80 फीसद भागीदारी यूपी की रही है। अब हरियाणा का पानीपत कालीन का बड़ा हब बनकर उभर रहा है। दिल्ली, राजस्थान, मुंबई व गुजरात से भी कालीनों का निर्यात होता है। भदोही के प्रमुख कारोबारी संजय गुप्ता ने बताया कि यूपी पिछड़ा है, इसका कारण हरियाणा के सस्ते उत्पाद हैं। वहां से दिल्ली नजदीक है, इसलिये आयातकों का सीधा जुड़ाव पहले वहीं हो जाता है।

सुविधाओं का अभाव, भदोही नहीं आते विदेश आयातक

भदोही, मीरजापुर व बनारस यूपी में कालीन उत्पादन व निर्यात का प्रमुख केंद्र है। यहां 60 फीसद हस्तनिर्मित कालीन बनते हैं। यहां ढांचागत सुविधाओं का अभाव है। जर्जर सड़कें और अघोषित बिजली कटौती उद्योग के लिए अभिशाप है। श्रम कानून में सख्ती व इंस्पेक्टर राज का दबाव उद्योग का गला घोंट रहा है। विदेश से आयातक सुविधाएं नहीं होने से भदोही नहीं आना चाहते हैं।

हरियाणा के कालीन कारखानों में होती है फिनिशिंग व पैकिंग

प्रमुख कालीन निर्यातकों की मानें तो यूपी की तुलना में हरियाणा में कारोबार का बढ़िया माहौल है। वहां एक ही कंपाउंड में उत्पादन, फिनिशिंग, पैकिंग व निर्यात होता है। वहां इंस्पेक्टर राज नहीं है। व्यवसायी खुलकर काम करते हैं। वहां ढांचागत सुविधाएं हैं। हरियाणा का मुख्य औद्योगिक क्षेत्र पानीपत है। पानीपत की दिल्ली से अधिक दूरी नहीं है। इसके चलते आयातक भदोही व मीरजापुर आने के बजाय पानीपत जाना पसंद करते हैं। आयातकों के बढ़ते रूझान को देखते हुए यहां के कई निर्यातकों ने पानीपत में ही कंपनी स्थापित की है।

40 फीसद कालीन भदोही से जाता है हरियाणा

निर्यात में भले ही हरियाणा ने बाजी मारी है, लेकिन वहां के 40 फीसद निर्यातक भदोही-मीरजापुर से ही माल खरीदते हैं। जिले के घोसिया, खमरियां व माधोसिंह से कालीन पानीपत भेजे जाते हैं जबकि निर्यात का 60 फीसद हिस्सा पानीपत में तैयार कराया जाता है।

हरियाणा ने तेजी से खुद को स्थापित किया

कालीन व्यवसाय के क्षेत्र में हरियाणा ने तेजी से खुद को स्थापित किया है। वहां की सरकार से मिलने वाले प्रोत्साहन की बदौलत से निर्यात में हमसे आगे निकल गए। मशीन मेड कालीनों के उत्पादन को उन्होंने बढावा दिया। जबकि हैंड टफ्टेड, दरीज, हैंडलूम से भदोही-मीरजापुर से खरीदते हैं।

- पीयूष बरनवाल, निर्यातक

 इस दिशा में सरकार को ध्यान देना चाहिये

हस्तनिर्मित कालीनों का 60 फीसद उत्पादन भदोही-मीरजापुर में होता है। फिर भी हम निर्यात में पीछे हैं। इस दिशा में सरकार को ध्यान देना चाहिये।

- महबूब, मानद सचिव, अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ

प्रदेश का निर्यात दो दशक से घट रहा है

प्रदेश का निर्यात दो दशक से घट रहा है। इसके बारे में सरकार व जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया जा रहा था। सुविधाएं उपलब्ध कराने को गंभीरता नहीं है।

- ओंकारनाथ मिश्रा, अध्यक्ष अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ

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