सोनभद्र में कोयले की कमी से आधी क्षमता पर चल रही इकाइयां, ग्रामीण क्षेत्रों में रोस्टर से अधिक बिजली
बुधवार को भी ओबरा परियोजना में मात्र दो रैक कोयला पहुंचा है जिसके कारण कोयले का स्टाक 33 हजार मीट्रिक टन तक लुढ़क गया है। ओबरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि आधी क्षमता पर इकाइयों को संचालित किया जा रहा है।
सोनभद्र, जागरण संवाददाता। कोयला संकट के कारण प्रदेश की ज्यादातर इकाइयों में अपेक्षित उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ओबरा और अनपरा की कई इकाइयां कोयले की कमी की मार झेल रही हैं। ओबरा की 200 मेगावाट की चारों इकाइयां को लगभग आधी क्षमता से चलाया जा रहा है। बुधवार को भी ओबरा परियोजना में मात्र दो रैक कोयला पहुंचा है, जिसके कारण कोयले का स्टाक 33 हजार मीट्रिक टन तक लुढ़क गया है। ओबरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि आधी क्षमता पर इकाइयों को संचालित किया जा रहा है। इकाइयों का संचलन किसी तरह से जारी रहने से अधिक समस्या नहीं आई।
बुधवार शाम पांच बजे के करीब ओबरा की नौवीं इकाई से 106 मेगावाट, दसवीं से 111 मेगावाट, 11वीं से 111 मेगावाट तथा 12वीं से मात्र 106 मेगावाट उत्पादन कराया जा रहा था। कोयले की कमी के कारण अधिकतम प्रतिबंधित मांग को पूरा करने के लिए काफी मशक्क्त करनी पड़ रही है। मंगलवार को पीक आवर के दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग 20050 मेगावाट तक पहुंच गई थी। इतनी मांग को पूरा करने के लिए इनर्जी एक्सचेंज से रिकार्ड 2347 मेगावाट बिजली जुटानी पड़ी। केंद्रीय पूल से भी 10189 मेगावाट बिजली लेनी पड़ी। मंगलवार को भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोस्टर से ज्यादा बिजली दी गयी। मंगलवार को ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 20.16 घंटे बिजली दी गई।
तीन इकाइयां हुई चालू : कोयला संकट के कारण बंद चल रही प्रदेश की इकाइयों की संख्या में और कमी आयी है। फिलहाल मात्र 835 मेगावाट क्षमता की ही कुल पांच इकाइयां कोयले की कमी के कारण बंद हैं। तापीय इकाइयों की बंदी को देखते हुए रिहंद की सभी छह जल विद्युत इकाइयों से उत्पादन कराया जा रहा है। बुधवार शाम को रिहंद से 264 मेगावाट बिजली का उत्पादन कराया जा रहा था। वहीं ओबरा जल विद्युत घर की दो इकाइयों से 58 मेगावाट उत्पादन हो रहा था।