नम आंखों से दी शहीद जवान को अंतिम विदाई, कमांडेट ने पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र किया अर्पित Varanasi news

39 जीटीसी के कमांडेट हुकुम सिंह बैंसला ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किया और शहीद गामिल के परिवार को सांत्वना दी।

By Edited By: Publish:Wed, 23 Oct 2019 01:36 AM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 08:41 AM (IST)
नम आंखों से दी शहीद जवान को अंतिम विदाई, कमांडेट ने पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र किया अर्पित Varanasi news
नम आंखों से दी शहीद जवान को अंतिम विदाई, कमांडेट ने पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र किया अर्पित Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा (तंगहाल सेक्टर) में 19 अक्टूबर को पाकिस्तान की गोलाबारी में शहीद हुए राइफलमैन गमिल कुमार श्रेष्ठा का पार्थिव शरीर मंगलवार को एयर इंडिया के विमान एआइ 433 से दोपहर बाद तीन बजकर 10 मिनट पर लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन पहुंचा। इस हमले में इसी केंद्र के हवलदार पद्म बहादुर श्रेष्ठ भी शहीद हुए थे। दोनों शहीदों ने गोरखा ट्रेनिंग सेंटर वाराणसी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। गामिल नेपाल के और पदम बहादुर असम के निवासी थे।

हवाई अड्डे के पुराने टर्मिनल भवन के समीप मेजर हरीश विजेंद्रम और सेना के अन्य अधिकारियों तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के कमाडेंट सुब्रत झा, एयरपोर्ट निदेशक आकाशदीप, एडीएम प्रोटोकाल, एसपीआरए, सीओ फूलपुर ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धाजंलि अर्पित की। इसके बाद पार्थिव शरीर को 39 जीटीसी के जवान सेना के वाहन से लेकर गोरखा प्रशिक्षण केंद्र पहुंचे। इस केंद्र पर 2017 में गामिल ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था। केंद्र पर शव पहुंचने पर माहौल बहुत गमगीन हो गया।

यहां पर उनको सशस्त्र सलामी दी गई। पिता रुद्र प्रसाद, मां सीता, भाई गणेश और भाभी करिश्मा की हालत बहुत खराब थी। किसी तरह उन्हें संभाला गया। यहां पर 39 जीटीसी के कमांडेट हुकुम सिंह बैंसला ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किया और शहीद गामिल के परिवार को सांत्वना दी। अन्य अधिकारियों ने भी शहीद को अंतिम सलामी दी। देर रात शहीद गामिल का हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया।

गर्व है मेरा बेटा भारत के लिए शहीद हुआ :  मेरे बेटे ने गोलाबारी में अपनी जान भारत के लिए गंवाई है, इसके लिए मुझे गर्व है। गामिल को शुरू से शौक था कि वह गोरखा रेजीमेंट में भर्ती हो और सीमाओं की सुरक्षा करे। लेकिन यह नहीं मालूम था कि इतनी जल्दी वह हम लोगों को छोड़ कर चला जाएगा। मुझे जिंदगी भर याद रहेगा कि मैं शहीद की मां हूं।

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