वाराणसी में इलेक्ट्रिक बसों को चार्जिंग करने के लिए चार्जिंग स्‍टेशन पहुंचे दो बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर

इलेक्ट्रिक बसों को चार्जिंग करने हेतु मंगलवार को गाजियाबाद से ट्रेलर (ट्रक) पर लदकर सोलह- सोलह सौ केवीए के दो बड़े -बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर मिर्जामुराद में निर्माणाधीन चार्जिंग स्टेशन पर पहुंचे। क्रेन की मदद से दोनो को उतारा गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 05:20 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 05:31 PM (IST)
वाराणसी में इलेक्ट्रिक बसों को चार्जिंग करने के लिए चार्जिंग स्‍टेशन पहुंचे दो बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर
सोलह-सोलह सौ केवीए के दो बड़े-बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर मिर्जामुराद में निर्माणाधीन चार्जिंग स्टेशन पर पहुंचे।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। इलेक्ट्रिक बसों को चार्जिंग करने हेतु मंगलवार को गाजियाबाद से ट्रेलर (ट्रक) पर लदकर सोलह-सोलह सौ केवीए के दो बड़े-बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर मिर्जामुराद में निर्माणाधीन चार्जिंग स्टेशन पर पहुंचे। क्रेन की मदद से दोनो को उतारा गया। उधर,लालपुर पावर हाउस से कामर्शियल बिजली सप्लाई देने हेतु भी अलग से खंभे लगाएं जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन को पूर्ण करने हेतु भी तेजी से काम चल रहा।यहां पर 50 इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा व मेंटनेंस का काम होगा।बनारस में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने व ईंधन (डीजल) की बचत हेतु इलेक्ट्रिक बसे चलाई जाएंगी।चार्जिंग स्टेशन बनते ही शहर की सड़को पर बसे दौड़ने लगेंगी।बस चार्जिंग स्टेशन बनाने हेतु 12 करोड़ 30 लाख रुपया स्वीकृत हुआ हैं। कार्य को उत्तर-प्रदेश जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज द्वारा कराया जा रहा हैं।

राजातालाब तहसील व आराजीलाइन ब्लाक अंतर्गत पड़ने वाले मिर्जामुराद के गौर गांव में ग्राम पंचायत द्वारा वर्ष 2019 में हाइवे किनारे इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन बनाने का प्रस्ताव पारित कर ग्राम पंचायत की आराजी नम्बर 93 ड.रकवा 0.745 से 0.635 हेक्टेयर (करीब 53 बिस्वा) भूमि दी गई।जिस भूमि का प्रस्ताव दिया गया उस पर मौजूदा समय में तालाब रहा।उक्त तालाब में करीब 25 वर्षो से गौर गांव के डेढ़ सौ घरों के सीवर का पानी आता रहा।बीते दिसंबर माह से उक्त तालाब से पानी निकाल जेसीबी मशीन से खोदाई कर उसमें मिट्टी भरने का काम शुरू हुआ था।निर्माण कार्य शुरू होते ही जलनिकासी की व्यवस्था न बनने के साथ ही आस-पास के काश्तकारों ने भूमि सीमांकन की मांग उठाई। इस दौरान बीच-बीच काम भी रुकता रहा।सीवर के पानी की व्यवस्था हेतु चार्जिंग स्टेशन के पीछे ग्राम सभा की कुछ खाली पड़ी भूमि को छोड़ी गई हैं, जिसमे गढ्ढा खोद जलनिकासी का वैकल्पिक व्यवस्था बना हैं।

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