वाराणसी संकटमोचन संगीत समारोह : जो कान्हा मेरी प्रीत ना जाणै, दे दुंगी मैं प्राण सांवरे

हनुमत दरबार में सभी कलाकारों ने छठे दिन अपनी कलाओं के जादुओं को संगीतप्रेमियों के बीच लुटाकर उनके दिलों में आगामी एक वर्ष तक के लिए अविस्मरणीय ठौर जमाया। कलाकारों ने आभासी मंच पर सुर-साज की झंकार से श्रद्धा-भक्ति की फुहार को धार दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:42 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 08:35 AM (IST)
वाराणसी संकटमोचन संगीत समारोह : जो कान्हा मेरी प्रीत ना जाणै, दे दुंगी मैं प्राण सांवरे
मुंबई से जुड़े कलाकार पं. सौनक अभिषेकि गायन की प्रस्तुति देते।

वाराणसी, जेएनएन। संकटमोचन संगीत समारोह की षष्ठी निशा में गुरुवार को कलाकारों ने आभासी मंच पर सुर-साज की झंकार से श्रद्धा-भक्ति की फुहार को धार दिया। इसके बाद तो श्रोताओं ने आभासी मंच पर प्रतिक्रियाओं की झड़ी लगा दी। संगीत के तीनों विधाओं की प्रस्तुति कलाकारों ने अपने चिर-परिचित अंदाज में दिया। जिससे संगीत रसिकों को पता ही नहीं चला कि वह हनुमत दरबार में हैं या आभासी रूप से हनुमत दरबार में। सभी कलाकारों ने छठे दिन अपनी कलाओं के जादुओं को संगीतप्रेमियों के बीच लुटाकर उनके दिलों में आगामी एक वर्ष तक के लिए अविस्मरणीय ठौर जमाया।

छठवें निशा की शुरुआत रात आठ बजे पद्मश्री दिवंगत पं. देवू चौधरी को याद करते हुए उनके पिछले वर्ष की प्रस्तुति का एक अमर अंश चलाया गया। दर्शक और श्रोता मंत्रमुग्ध होकर इस अमर प्रस्तुति  का आनंद लेते रहे। कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में भुवनेश्वर के विख्यात कलाकार पं रतिकांत महापात्रा और सुजाता महापात्रा ने अपने शिष्यों संग हनुमत प्रभु के श्री चरणों में हाजिरी लगाई। उन्होंने ओडिसी नृत्य से 'बाली वध' के सुंदर भाव सजाए। उसके बाद संतूर वादन के लिए ख्यात संतूर वादक पं. सतीश व्यास जुड़े। उन्होंने राग कौशिक ध्वनि में आलाप, जोड़ एवं झाला बजाकर संगीत रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबला पर पं. मुकुंदराज देव ने संगत किया। चौथी प्रस्तुति में गायन के लिए घारवाड़ से जुड़े किराना घराने के कलाकार विजय पाटिल ने राग शंकरा में निबद्ध रचना की प्रस्तुति  दी। उसके बाद उन्होंने अपनी विख्यात रचना 'जमुना किनारे मोरा गांव' सुनाकर श्रोताओं का दिल जीता। मुंबई से जुड़े युवा वंशी वादक एस. आकाश ने वंशी वादन करके हनुमत दरबार में हाजिरी लगाई।

आज भी होगा संगीत समारोह का आयोजन

छह दिवसीय श्रीसंकट मोचन संगीत समारोह के अंतिम दिन महंत प्रो.  विश्वम्भरनाथ मिश्र ने बताया कि हमने कोरोना महामारी में कई बड़े कलाकारों को खोया है। युवा कलाकार अपनी हाजिरी हनुमत प्रभु के दरबार में लगाना चाहते हैं। बढ़ते कलाकारों की संख्या को देखते हुए इस वर्ष भी संगीत समारोह का आयोजन एक दिन के लिए बढ़ाया जा रहा है। अब संगीत समारोह का आयोजन सात मई यानी शुक्रवार तक होगा। अगले वर्ष 2022 में श्रीसंकट मोचन संगीत समारोह 20 से 25 अप्रैल तक आयोजित होगा। 16 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जाएगी। 17, 18 और 19 अप्रैल को व्यास सम्मेलन होगा।

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