वाराणसी में लीज पर करीब 25 बीघा में सब्जी की खेती कर रहे मधुमखियां के किसान त्रिलोकी
बड़ागांव विकास खंड के मधुमखियां गांव निवासी किसान त्रिलोकी जैविक खेती से अपने क्षेत्र में जाने जाते हैं। भले ही उनके पात्र मात्र डेढ़ बीघा ही खेत हैं लेकिन वे लीज पर लेकर करीब 25 बीघा खेती कर रहे हैं। इससे वे लाखों रुपये की आमदनी कमा रहे हैं।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। बड़ागांव विकास खंड के मधुमखियां गांव निवासी किसान त्रिलोकी जैविक खेती से अपने क्षेत्र में जाने जाते हैं। भले ही उनके पात्र मात्र डेढ़ बीघा ही खेत हैं, लेकिन वे लीज पर लेकर करीब 25 बीघा खेती कर रहे हैं। इससे वे लाखों रुपये की आमदनी कमा रहे हैं। साथ ही दूसरे किसानों को भी जैविक खेती के लिए जागरूक कर रहे हैं। आसपास के गांवों के किसान त्रिलोकी से खेती का गुरु सीखते हैं।
त्रिलोक करीब डेढ़ दशक से खेती-किसानी में जुड़े हैं। जब इनका खेती के प्रति रूझान बढ़ा तो अपने गांव के साथ ही आसपास के गांवों में भी लीज पर खेत लेकर खेती करने लगे। अब तो वे जौनपुर में भी खेत लेकर खेती कर रहे हैं। उनका जोर सबसे अधिक सब्जी की खेती पर रहता है। सीजन के अनुसार वे मिर्च, टमाटर, लौकी, करैला, फूल गोभी, शिमला मिर्च आदि बोते हैं।
खुद के वाहन से बाजार में पहुंचाते हैं सब्जी
खेती के दम पर ही त्रिलोकी ने ट्रैक्टर खरीदी। इसके बाद उन्होंने रोटा वेटर भी खरीदा है। हालांकि इसके लिए सरकार की ओर से अनुदान मिला। इसके अलावा उन्होंने पिकअप भी खरीद ली है। ताकि अपने उत्पाद को खेत से बाजार में आसानी से पहुंचा सके।
अन्य को भी मिलता है रोजगार
त्रिलोकी की खेती से अन्य 40-50 लोगों को भी रोजगार मिलता है। स्थिति यह है कि वे करीब पांच लाख मजदूरी में लोगों को देते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी खेती से कितनी आमदनी होगी।
बेटे को एग्रीकल्चर की पढ़ाई
त्रिलोकी के तीन बजे हैं। बड़ा बेटा अश्विन कुमार एग्रीकल्चर से इंटरमीडिएट कर रहे है। त्रिलोकी ने बताया कि वे दो साल से किसानों को आर्गेनिक खेती के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं।
40 क्विंटल तक तैयार करते हैं वर्मी कंपोस्ट
त्रिलोकी जैविक वर्मी कंपोस्ट एवं कोको पिट से सब्जी की नर्सरी तैयार करते हैं। वे खुद 25 से 40 क्विंटल बर्मी कंपोस्ट तैयार कर लेते हैं। ऐसे करने से उन्हें बाजार से बहुत कम ही बर्मी कंपोस्ट खरीदनी पड़ती है। वह नाबार्ड से तकनीकी सहयोग लेकर आधुनिक खेती से क्षेत्र में अन्य किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।