बीएचयू में कोरोना के लक्षणों पर आयुर्वेदिक औषधि का ट्रायल, विकसित की है सिम मेग- 19
कोरोना के उपचार में आयुर्वेद की एक औषधि भी एक उम्मीद की किरण बनकर उभर रही है। इस औषधि को लखनऊ स्थित काउंसिल फार साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च सेंटर (सीएसआइआर) ने विकसित किया है जिसका नाम सिम मेग 19 दिया गया है।
वाराणसी, [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। कोरोना के उपचार में आयुर्वेद की एक औषधि भी एक उम्मीद की किरण बनकर उभर रही है। इस औषधि को लखनऊ स्थित काउंसिल फार साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च सेंटर (सीएसआइआर) ने विकसित किया है, जिसका नाम "सिम मेग 19" दिया गया है। यह दवा कालमेघ (वानस्पतिक नाम-एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाटा) पौधे से तैयार की गई है। इसका ट्रायल अप्रैल से ही बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के साथ ही लखनऊ केजीएमसी एवं पुणे के भारतीय विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी में चल रहा है।
कोरोना के कारण होने वाली बीमारियों के उपचार में भी कारगर
बीएचयू, आइमएस, आयुर्वेद संकाय स्थित काय चिकित्सा विभाग के प्रो. राजेंद्र प्रसाद, डा. अजय कुमार पांडेय एवं माडर्न मेडिसिन संकाय स्थित जनरल मेडिसिन विभाग के प्रो. दीपक गौतम की देखरेख में ट्रायल चल रहा है। इसमें जेआर डा. पार्वती वेनाट एवं डा. सतीश पाल की भी अहम भूमिका है। प्रो. राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि केंद्र सरकार की संस्था सीएसआइआर की इस औषधि का आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत पहले से ही यकृत (लीवर) संबंधी बीमारियों में उपयोग किया जा रहा है। इस संस्था ने इस औषधि का प्रयोग इस कोरोना के कारण होने वाली बीमारियों के लिए कई रूप में सफल पाया है। सबसे बड़ी बात है कि यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में तो कारगर है ही, साथ ही कोरोना बीमारी में होने वाले कई सारे लक्षणों जैसे बुखार, सर्दी, भूख नहीं लगना, कमजोरी आदि में भी काफी असरदार है। इसका पहले भी कुछ देशों में एंटीवायरल के रूप में प्रयोग किया गया है। बहुत जल्द ही यह संस्थान भी इसको एंटी कोरोना वायरस के रूप में प्रयोग करने वाला है।
ट्रायल में 100 मरीजों को किया गया शामिल
18 अप्रैल से चल रहे ट्रायल में 100 मरीजों का शामिल किया गया हैं, जिसमें 50 पॉजिटिव थे एवं 50 पोस्ट कोविड मरीज। हालांकि इसमें गंभीर मरीजों को नहीं लिया गया। 50 पॉजिटिव मरीजों से 25 ऐसे थे जो एलोपैथिक दवाएं एवं 25 ऐसे थे जो आयुर्वेद एवं एलोपैथ दोनों ही दवाएं खा रहे थे। प्रो. प्रसाद ने बताया कि जिनको "सिम मेग- 19" औषधि दी गई थी उनके परिणाम बेहतर आए हैं। यह औषधि टैबलेट फार्म हैं। एक डिब्बे की की कीमत करीब तीन सौ रुपये हैं, जिसमें 60 गोलियां हैं।
ट्रायल वाले मरीजों की एक सप्ताह बाद कराई जा रही जांच
इनकी जांचें जैसे रूटीन, डी डाइमर, फेरीटिन, एलडीएच, आइएल 6, सीआरपी, सीडी 3,4,8, छाती का एक्सरे, कंप्यूटर द्वारा फेफड़ों की जांच (स्पायरोमेट्री), ऑक्सीजन का लेवल, आरटीपीसीआर हर सप्ताह या 21 दिन पर किए जा रहे हैं। प्रो. प्रसाद का दावा है कि बहुत जल्द ही रोगियों में हो रहे चिकित्सकीय अध्ययन के परिणाम भी आंकड़ों के रूप में सामने आ जाएंगे और यह औषधि इस महामारी को रोकने व इलाज में कारगर साबित होगी।