रोज रोज की तस्वीर : अचेत यात्री की इलाज कराने के बजाय आपस में ही उलझ गए सुरक्षाकर्मी Varanasi news
कैंट रेलवे स्टेशन पर सोमवार को दिन में करीब 11.30 बजे अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। बुंदेलखंड एक्सप्रेस के जनरल कोच में एक यात्री अचेत पड़ा मिला।
वाराणसी, जेएनएन। कैंट रेलवे स्टेशन पर सोमवार को दिन में करीब 11.30 बजे अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। बुंदेलखंड एक्सप्रेस के जनरल कोच में एक यात्री अचेत पड़ा मिला। ट्रेन प्लेटफार्म नंबर आठ पर पहुंची तो सभी यात्री उतरकर अपनी मंजिल को रवाना हो गये। उसी दौरान एक व्यक्ति की नजर अचेत पड़े यात्री पर पड़ी। उसने स्टेशन प्रशासन को सूचना दी तो पहले आरपीएफ के जवान फिर कुछ देर बाद जीआरपी पहुंची। सुरक्षाकर्मियों के पहुंचने पर स्टेशन के लोग अचेत यात्री के चेहरे पर पानी छिड़ककर उसे होश में लाने की कोशिश में जुट गए, लेकिन कोई लाभ न हुआ। अलबत्ता यात्री की तबीयत बिगड़ती ही जा रही थी।
जीआरपी के सिपाही पहुंचे तो आरपीएफ के जवानों से कार्यक्षेत्र को लेकर शुरू बातचीत तकरार में बदल गई। हालांकि, दोनों ही पक्षों के सिपाहियों में कुछ समझदार रहे, जिन्होंने यात्री के इलाज को प्राथमिकता देते हुए बीच-बचाव की कोशिश की तो इलाज की दिशा में प्रयास शुरू हो सका। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों को उलझता देख वहां मौजूद लोगों को अचेत यात्री की फिक्र होने लगी थी। यात्री कहां का रहने वाला है, उसे कहां जाना था, अचेत कैसे हुआ इत्यादि के बारे में जानकारी नहीं हो सकी है। आशंका जताई जा रही थी कि जहरखुरानों ने यात्री को नशीला पदार्थ खिलाकर लूट लिया होगा। बहरहाल, सच्चाई तो उसके होश में आने के बाद ही सामने आ सकेगी।
बैलगाड़ी की चाल चली नीलांचल एक्सप्रेस : सुपरफास्ट एक्सप्रेस और तीन घटे में 16 किमी की यात्रा ..। 21 वीं सदी तरक्की की राह पर दौड़ने का दावा करने वाली भारतीय रेल की सच्चाई यही है। मसलन, रेल आज भी पहले की तरह बैलगाड़ी की रफ्तार से आम जनता को पहुंचा रहीं है। नई दिल्ली से चलकर पुरी को जाने वाली 12876 नीलाचल एक्सप्रेस रविवार की रात साढ़े 10 वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पहुंची। वहा से रात में 11 बजे पुरी के लिए रवाना हुई तो महज 16 किमी पहुंचने में तीन घटे लग गए। रास्ते में न लाइन खराब नहीं कहीं कोहरे ने राह में रोड़ा अटकाया। बाढ़ में भी कहीं रास्ता नहीं रोका, लेकिन उसके बावजूद लेतलतीफी यात्रियों को अखर गई।
यात्रियों ने बताया कि ट्रेन को पहले लोहता स्टेशन से रवाना करने के बाद बहुत देर तक आउटर पर रोका गया। वाराणसी से खुली तो ट्रेन की चाल रेलवे की कलई खोलने वाली रही। पंडित दीन दयाल जंक्शन से चार किमी पूर्व ट्रेन 1.30 घंटे फिर से आउटर पर रोकी गई। यात्रियों ने बताया कि आउटर पर उनकी ट्रेन खड़ी रहने के दौरान एक दर्जन ट्रेनें आती व जाती रहीं। रात दो बजे आउटर से ट्रेन खुली तो देर रात 2.11 मिनट पर पहुंची। हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के बाद एवं बुलेट ट्रेन की कल्पनाओं के बीच गरीब एवं मध्यमवर्गीय लोग आज भी मुकम्मल समय में मंजिल पर पहुंचाने वाली ट्रेन के चलाए जाने का इंतजार कर रहे हैं।