परंपरागत डिजाइन : वाराणसी में लकड़ी और राजस्थानी चुनरी से बन रही गुडिय़ा, हाथी व घोड़ा भी
कोरोना के कारण हर वर्ग को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में उद्योगों पर भी असर पड़ा। मगर प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल के आह्वान के बाद से बनारस में एक बार फिर लकड़ी से बने सजावटी सामान की मांग बढ़ गई है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के कारण हर वर्ग को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में उद्योगों पर भी असर पड़ा। मगर प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल के आह्वान के बाद से बनारस में एक बार फिर लकड़ी से बने सजावटी सामान की मांग बढ़ गई है। खास बात ये कि इसमें लोगों को पुराने व परंपरागत डिजाइन और चटकीले रंग ही पसंद आ रहे हैं। इस वजह से लकड़ी पर बने रचनात्मक और परंपरागत सामान की अनेक वेरायटी बाजार में आ चुकी हैं। इसमें लकड़ी के खिलौने से लेकर पूजा में प्रयोग होने वाले पाटे भी शामिल हैं। वहीं राजस्थानी चुनरी में लकड़ी की गुडिय़ा और हाथी घोड़े भी हैं। दशहरा और दीपावली के लिए अभी से हैंडीक्राफ्ट के कारोबारी इन रचनात्मक आइटमों को तैयार कर रहे हैं ताकि इस साल स्वदेशी कलाकृतियों से त्योहार पर घर को चार चांद लगाया जा सके। इसमें लकड़ी की गुडिय़ा लोगों को खूब पसंद आ रही है।
घर-घर पहुंचे अपनी कला- हैंडीक्राफ्ट आइटम के कारोबारी दिनेश अग्रवाल कहते हैं कि इस बार लोकल फॉर वोकल ने हमें बल दिया है। ऐसे में लकड़ी का काम फिर से जोर पकड़ रहा है। राजस्थानी चुनरी व लकड़ी से बने महिला का चेहरा लगाकर गुडिय़ा बनाई जा रही है। लकड़ी को लेकर खूब प्रयोग हो रहे हैं ताकि ये चीजें ग्राहकों को पसंद आए और घर-घर ये कला पहुंचे।
चुनरी का हाथी और घोड़ा- चुनरी से बना हाथी, घोड़ा भी है जिस पर स्टैंड बनाया गया है ताकि दशहरे और दीपावली के मौके पर इस पर मोमबत्ती रखकर घर को परंपराओं के दीपक से रोशन किया जा सके। गुडिय़ा के हाथों में भी डलिया बन रही है जिस पर दीये सजाए जा सकते हैं। ये नया प्रयोग इस साल किया जा रहा है। वहीं बरात कांसेप्ट पर लकड़ी के गुडिय़ों की टोली भी बनाई जा रही है। लकड़ी के कटआउट पर सिरेमिक क्ले, एक्रेलिक कलर, थ्रीडी आउटलाइनर आदि का प्रयोग कर कुछ नया बनाने का प्रयास हर तरफ चल रहा है।