टॉय फेयर ने शिल्पियों के लिए तैयार किया भविष्य का प्लेटफार्म, इंडिया टॉय फेयर-2021 का आज होगा समापन

पीएम के आत्म निर्भर भारत एवं लोकल फार वोकल के नारे को आगे बढ़ाते हुए इस फेयर का आनलाइन आयोजन किया गया। इसमें वाराणसी के 15 शिल्पी भाग ले रहे हैं। इसे लेकर वस्त्र मंत्रालय की साइट पर लाखों आगंतुक रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 10:35 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 10:35 AM (IST)
टॉय फेयर ने शिल्पियों के लिए तैयार किया भविष्य का प्लेटफार्म, इंडिया टॉय फेयर-2021 का आज होगा समापन
इंडिया टॉय फेयर-2021 में वाराणसी के 15 शिल्पी भाग ले रहे हैं।

वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 27 फरवरी से शुरू चार दिवसीय इंडिया टॉय फेयर-2021 को छह दिन का करते हुए चार मार्च तक कर दिया गया है। मंगलवार को पांच दिन में ही कई देशी-विदेशी कंपनियों ने यहां के कारीगरों से संपर्क किया है। शिल्पियों का कहना है कि एक तरह एक पहली प्रदर्शनी है। इससे बहुत लाभ मिल रहा है। एक तरह से यह फेयर कारीगरों के लिए भविष्य के लिए प्लेटफार्म किया है।

पीएम के आत्म निर्भर भारत एवं लोकल फार वोकल के नारे को आगे बढ़ाते हुए इस फेयर का आनलाइन आयोजन किया गया। इसमें वाराणसी के 15 शिल्पी भाग ले रहे हैं। इसे लेकर वस्त्र मंत्रालय की साइट पर लाखों आगंतुक रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। वैसे इस मेले का समापन दो मार्च को था, लेकिन इसे बढ़ाकर चार मार्च तक कर दिया गया है। उद्योग के समग्र विकास पर विचार-विमर्श करने के लिए एक ही प्लेटफार्म पर खरीददारों, विक्रेताओं, विद्याॢथयों, शिक्षकों, डिजाइनरों आदि सहित सभी हितधारकों को लाया गया। यह एक ऐसा माध्यम बन गया है जो कारीगरों को सीधे निर्यातकों एवं खरीदारों से जोड़ रहा है। इससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। वस्त्र मंत्रालय आयुक्त कार्यालय के सहायक आयुक्त अब्दुल्लाह ने बताया कि लोगों को काशी में बने लकड़ी के खिलौने काफी पसंद आ रहे हैं। देश-विदेश से लोग संपर्क कर रहे हैं। निश्चित से इसका लाभ यहां के शिल्पियों को मिलने वाला है।

कश्मीरीगंज, खोजवां के शिल्पी उदय राज कुंदेर का कहना है कि पहली बार ऐसा प्लेटफार्म मिला जहां बिचौलिए नहीं बल्कि सीधे खरीदार व निर्यातक से संपर्क साधने का मौका मिल रहा है।

आमतौर पर अपने उत्पाद को प्रदर्शन करने के लिए दूर-सुदूर मेले में जाना पड़ता है। इससे आने-जाने, ठहरने व खाने में काफी खर्च करना पड़ता है। साथ ही सामान एकत्रित कर ले जाना पड़ता है। कई बार तो बिक्री भी मामूली होती है। अब इस फेयर से यह समस्या दूर हो गई है। बस लैपटॉप पर देश के साथ ही विदेश में भी प्रदर्शित करने का मौका मिल रहा है। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद मुंबई, पुणे, सूरत, अहमदाबाद आदि शहरों से आर्डर आने लगा है। इसके पीएम को धन्यवाद हैं कि इस पहल से काशी के बने लकड़ी के खिलौने का कारोबार विश्व में बढ़ेगा।

chat bot
आपका साथी