सोनभद्र में अंग्रेजों के जमाने के नहीं, आज के जेलर हैं मिजाजी, बंदियों के असहाय परिजनों की करते हैं मदद
नाम है मिजाजी लाल यादव वह अपने जेल में सख्त रूख से नहीं बल्कि नित नए प्रयोगों के लिए पहचाने जाते हैं। कोरोना संक्रमण के इस काल में जब कई बंदी अपने परिजनों को लेकर चितिंत दिखे तो उन्होंने उनकी समस्याओं का समाधान करने का मन बनाया।
सोनभद्र, जेएनएन। शोले फिल्म का एक मशहूर चरित्र था अंग्रेजों के जमाने का जेलर...। वैसे भी जेलर को सख्त व अड़ियल स्वभाव का माना जाता है, लेकिन सोनभद्र जिला जेल के जेलर अपने नाम की तरह मिजाज रखते हैं। नाम है मिजाजी लाल यादव, वह अपने जेल में सख्त रूख से नहीं बल्कि नित नए प्रयोगों के लिए पहचाने जाते हैं। कोरोना संक्रमण के इस काल में जब कई बंदी अपने परिजनों को लेकर चितिंत दिखे तो उन्होंने उनकी समस्याओं का समाधान करने का मन बनाया।
जिला कारागार में दो दिन पहले एक नई पहल जेल अधीक्षक ने की है। जिला कारागार में बंदियों की कुल संख्या 1050 है। जिसमें 55 महिला बंदी है। कोरोना के कारण बंदियों से मिलने का नियम काफी दिनों से बंद है। एेसे में जेल अक्षीक्षक ने बंदियों को मोबाइल के जरिए परिजनों से रूबरू कराने की योजना बनाई। सप्ताह में एक बंदी अपने परिजनों से दो बार पांच-पांच मिनट बात कर सकता है। बातचीत के अलावा किसी बंदी के परिजन बीमार हैं तो जेल में तैनात चिकित्सकों से उनकी वार्ता कराई जाती है। बीमारी के बारे में चिकित्सक जानने के बाद जेल अस्पताल से ही दवा दी जाती है। यह दबा कारागार के कांस्टेबल बंदी के स्वजनों तक पहुंचाते हैं। हालांकि यह नई पहले अभी जिला कारागार के आसपास स्थित ब्लाक जैसे राबर्ट्सगंज, चोपन, करमा, नगवां, चतरा व घोरावल में ही लागू है, जिसे आगे बढ़ाते हुए गैर जनपद के बंदियों को भी इसका लाभ मुहैया कराया जाएगा।
बिन पानी 10 वर्ष से नहीं हो सका था संचालन
जिला कारागार सोनभद्र में जेल अधीक्षक मिजाजी लाल यादव की तैनाती पौने चार वर्ष पहले हुई थी। उस वक्त पानी की बेहद किल्लत थी और इसी वजह से जेल का संचालन भी शुरू नहीं हो सका था। उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और शासन स्तर पर पहल कर पांच करोड़ की लागत से वाटर प्लांट स्थापित कराने में कामयाब रहे। इसके अलावा इस वाटर प्लांट में तीन हजार लीटर प्रति घंटा क्षमता का आरओ प्लांट भी लगा हुआ है।
यह भी किया कार्य
- दो हजार किताबों वाली लाइब्रेरी की स्थापना
- जेल में सिलाई व कढ़ाई केंद्र की स्थापना
- अनपढ़ बंदियों को साक्षर करने के लिए शिक्षकों की व्यवस्था
- कारागार परिसर में माह में दो बार स्वास्थ्य व जागरूकता शिविर
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन
बंदियों के स्वजनों को दे रहे सुविधा
बंदियों के स्वजनों के उपचार के साथ ही उन्हें अपना व संबंधित चिकित्सक का नंबर भी दिया जाता है ताकि किसी तरह की उन्हें परेशानी न हो। जिला कारागार में बंदियों को पूरा ख्याल रखा जाता है ताकि उनके सोच में बदलाव किया जा सके। -मिजाजी लाल यादव, जेल अधीक्षक