किशोरों को बलवान बनाने के लिए रखें उनके खान-पान का ध्यान, पोषण का महत्व जरूरी

उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई भाग 10 से 19 वर्ष उम्र तक के किशोर-किशोरी हैं। शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि के लिए यह उम्र काफी अहम होती है। अभिभावक अगर जागरूक रहेंगे तो किशोर-किशोरी कुपोषण से दूर रहेंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 04:22 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:22 PM (IST)
किशोरों को बलवान बनाने के लिए रखें उनके खान-पान का ध्यान, पोषण का महत्व जरूरी
किशोरों को बलवान बनाने के लिए रखें उनके खान-पान का ध्यान

वाराणसी, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई भाग 10 से 19 वर्ष उम्र तक के किशोर-किशोरी हैं। शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि के लिए यह उम्र काफी अहम होती है। अभिभावक अगर जागरूक रहेंगे तो किशोर-किशोरी कुपोषण से दूर रहेंगे। यह कहना है राष्ट्रीय किशोर-किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ ए.के. गुप्ता का। डॉ गुप्ता के अनुसार जनपद में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र, एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय में तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र जिला महिला चिकित्सालय में संचालित हैं।

डॉ गुप्ता ने बताया कि जिले में किशोर तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र संचालित किया जा रहा है, किशोर-किशोरी तथा अभिभावक इसका लाभ ले सकते हैं। किशोरावस्था के तीन मुख्य चरण होते हैं, ये हैं क्रमशः प्रारम्भिक किशोरावस्था (9 से 13 वर्ष), मध्य किशोरावस्था (14 से 15 वर्ष) तथा देर से किशोरावस्था (16 से 19 वर्ष)। इस दौरान किशोरावस्था में शारीरिक, मानसिक/बौद्धिक परिवर्तन, भावनात्मक तथा सामाजिक परिवर्तन होते हैं।

किशोरावस्था के दौरान पोषण के महत्व पर चर्चा करते हुये डॉ गुप्ता ने बताया कि पोषण किशोरावस्था में वृद्धि एवं विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह किशोर-किशोरियों कि शारीरिक संरचना में बदलाव और शारीरिक यौवनकाल की शुरुआत से जुड़ा है। सही पोषण विकास की गति को बढ़ाता है। इस अवस्था में माइक्रोन्यूट्रिएंट सहित पोषण सम्बंधी आवश्यकतायें बढ़ जाती हैं। गंभीर कुपोषण की वजह से यौन विकास में देरी हो सकती है। किशोरियों में मासिक धर्म की शुरुआत तथा किशोरों में शारीरिक बदलाव उनके पोषण की आवश्यकता से प्रभावित होते हैं। इस दौरान सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी विशेष महत्व होता है। सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर की उचित वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक एंजाइम , हार्मोन और अन्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न करने में शरीर को सक्षम बनाते हैं। 29 फीसदी किशोरों में एवं 54 फीसदी किशोरियों में आयरन की कमी और आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया रोग की व्यापकता ज्यादा मिलती है।

किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के परामर्शदाता शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि केंद्र पर प्रतिदिन लगभग 25 किशोरों को परामर्श दिया जाता है। इस वर्ष सितम्बर में 486, अक्टूबर में 587 तथा नवम्बर में 416 किशोरों को परामर्श दिया गया। उन्होने बताया कि किशोरों के खान-पान की आदतों को प्रभावित करने वाले निम्न कारक हो सकते हैं, जैसे प्रचार-प्रसार, समय का अभाव, शरीर की छवि, साथियों का दबाव, भोजन तथा पेय पदार्थों का व्यवसायीकरण, संचार माध्यम तथा रोल माडल इत्यादि।

इस दौरान कुपोषण के संकेत एवं लक्षण शामिल हैं, जैसे भूख की कमी, खाना खाने या पीने में अरुचि, थकान और चिड़चिड़ापन, ध्यान केन्द्रित करने में अस्मर्थ, अवसाद, बीमार पड़ने का अधिक खतरा तथा बीमारी ठीक होने मंा ज्यादा समय लगना।

किशोरावस्था में कुपोषण की समस्या के निम्न कारण हैं

गरीबी, लड़का और लड़की के बीच भेदभाव, ज्ञान की कमी, पोषक आहार की कमी, खराब स्वच्छता के कारण कुपोषण तथा प्रदूषित पर्यावरण इत्यादि। अभिभावक अगर सतर्क रहेंगे, तो किशोर कुपोषित होने से बचे रहेंगे।

जिला महिला चिकित्सालय के किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र की परामर्शदाता सारिका चौरसिया ने बताया कि केंद्र पर प्रतिदिन 15 से 20 किशोरियों को उनके विभिन्न मुद्दों पर परामर्श दिया जाता है। इस वर्ष सितम्बर में 472, अक्टूबर में 420 तथा नवम्बर में 445 किशोरियों को परामर्श दिया गया था। पोषण की स्थित का आकलन बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना के द्वारा किया जाता है। किशोरियों का अधिक वजन और मोटापा भी काफी नुकसानदेह होता है। मोटापा होने पर ऊतकों में वसा की मात्रा अधिक जमा हो जाती है तथा शरीर का वजन वांछित वजन से 20 फीसदी तक अधिक बढ़ जाता है। मोटापे के कारण रक्त में कोलेस्ट्राल की अधिक मात्रा होने से अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान गलत खान-पान की आदतों के कारण भी विकार उत्पन्न होते हैं। असंतुलित मात्रा में भोजन लेना शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसके अलावा विटामिन और मिनरल की कमी भी कुपोषण को बढ़ाती है। आयोडीन की कमी भी सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के बोझ को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है, और यह किशोरियों में ज्यादा पायी जाती है।

क्या कहा लाभार्थियों ने

- जैतपुरा निवासी 17 वर्षीय राम प्रकाश यादव ने बताया कि मुझे एक वर्ष पहले मानसिक तनाव की समस्या थी, केंद्र पर परामर्श के दौरान उचित खान-पान,पोषण तथा दिनचर्या के विषय में समझाया गया। मुझे अब काफी आराम है। सरकार की इस निश्‍शुल्क सुविधा का बहुत-बहुत धन्यबाद।

- पड़ाव निवासी 18 वर्षीय गोबिन्द ने बताया की हमारी शारीरिक ग्रोथ अच्छी नहीं थी। मुझे पोषण तथा विशेष रूप से मौसमी फल और सब्जी खाने के लिए और व्यायाम करने के बारे में बताया गया। मैं पहले से अब बेहतर हूँ।

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