कोरोना को हराने के लिए मीरजापुर में प्रभु श्रीराम को बनाया सहारा, लिख चुके हैं 13 करोड़ 20 लाख बार राम का नाम

रामभक्त कहते हैं कि लाल रंग की स्याही से श्रीराम का नाम लिखने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। अशुभ ग्रहों के प्रकोप से राहत मिलती है। इसके अलावा मन एकाग्र होता है और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। राम सबकी चेतना का सजीव नाम है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 07:10 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 07:10 PM (IST)
कोरोना को हराने के लिए मीरजापुर में प्रभु श्रीराम को बनाया सहारा, लिख चुके हैं 13 करोड़ 20 लाख बार राम का नाम
विंध्याचल स्थित श्रीराम बैंक में रखी राम नाम लिखी पुस्तिकाएं।

मीरजापुर सतीश रघुवंशी । कोरोना का भय दूर करने के लिए हर कोई नुस्खे अपना रहा है, लेकिन रामभक्तों ने अपनी आस्था को ही कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बनाया। विंध्याचल स्थित प्रभु श्रीराम बैंक के 41 हजार खाताधारकों ने 12 हजार कापियों में 13 करोड़ 20 लाख बार राम नाम लिखा। राम नाम लिखने के बाद खाताधारक इन कापियों को श्रीराम बैंक में जमा कर रहे हैं। भक्तों का कहना है कि राम नाम लिखने से मन काे शांति, संतुष्टि, विश्वास, हाैसला और असीम ऊर्जा मिलती है।

रामभक्त कहते हैं कि लाल रंग की स्याही से श्रीराम का नाम लिखने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। अशुभ ग्रहों के प्रकोप से राहत मिलती है। इसके अलावा मन एकाग्र होता है और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। राम सबकी चेतना का सजीव नाम है। प्रभु श्रीराम भक्तों के हृदय में वास कर सुख-सौभाग्य व आनंद प्रदान करते हैं। कोरोना महामारी के दौर में भगवान राम का नाम लोगों के लिए बड़ा सहारा बना है। राम नाम लिखने के लिए तमाम रामभक्त श्रीराम बैंक से पासबुक (पुस्तिका) मुफ्त में ले जा रहे हैं। जनपद ही नहीं, देश के विभिन्न प्रांतों के लोग भी राम नाम लिखने के लिए पुस्तिका कोरियर से मंगाते हैं। एक कापी पर 11 हजार बार राम नाम लिखने के बाद रामभक्त हनुमानजी के बारह नाम का ग्यारह बार जप करते हैं। श्रीराम बैंक के संस्थापक महेंद्र पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में अब तक 12 हजार राम नाम पूंजी बैंक में जमा हुई है। बैंक में कुल 41 हजार खाताधारक हैं। गीता प्रेस, दिल्ली व हरिद्वार की पुस्तकें भी रामभक्त यहां लाकर जमा करते हैं। राम नाम लिखने के लिए प्रभु श्रीराम बैंक से पुस्तक व लाल कलम मुफ्त में दी जाती है।

कोरियर से भी भेजी जाती हैं पुस्तिकाएं

विंध्याचल में प्रभु श्रीराम बैंक में रुपये नहीं, बल्कि श्रीराम नाम रूपी धन जमा किया जाता है। अगर कोई सहयोग करना चाहता तो श्रीराम बैंक के सदस्य श्रीराम नाम की पुस्तिका छपवाकर सहयोग प्राप्त करते हैं। राम नाम लिखने के लिए दूरदराज के भक्तों को भी कोरियर से पुस्तिका भेजी जाती है। श्रीराम बैंक का बूढ़ेनाथ में एक और ब्रांच है। यहां से भी लोग पुस्तक ले रहे हैं। कुछ भक्त यहां रखे दान पात्र में पुस्तिका छपवाने के लिए दान दे जाते हैं।

- महेंद्र कुमार पांडेय, संस्थापक सदस्य

प्रभु श्रीराम बैंक से जुड़कर नौ पुस्तिकाएं लिख चुका हूं

कोरोना काल में जनवरी से ही मैं प्रभु श्रीराम बैंक से जुड़कर नौ पुस्तिकाएं लिख चुका हूं। सुख-शांति के साथ ही मन एकाग्र रहता है। जब हम राम का नाम लिखते हैं तो भगवान की छवि सामने रहती है। सुबह पूजा-पाठ के समय में भगवान के समक्ष बैठकर राम का नाम लिखते हैं। कोरोना काल में राम नाम लिखने व स्मरण करने से आनंद की अनुभूति के साथ ऊर्जा मिलती है।

- प्रो. शशिधर शुक्ल, शिक्षक मीरजापुर

पिछले तीन वर्षों से राम नाम लिखते आ रहे हैं

पिछले तीन वर्षों से राम नाम लिखते आ रहे हैं। इससे उन्हें मानसिक शांति व ऊर्जा मिलती है। भक्ति मार्ग पर प्रगति करने की यह अद्भुत कला है। राम नाम लिखने से मन नहीं भटकता है। ध्यान लगता है और संतुष्टि मिलती है। मैं सिंगरौली, नासिक, धर्मकेश्वर, बटुक हनुमान व अप्पा मंदिर के पुजारी समेत तमाम लोगों को भी पुस्तिका मंगा कर उपलब्ध कराता हूं।

- कुलदीप सिंह सन्नी, सिंगरौली मध्य प्रदेश

कोरोना काल में 35 पुस्तिकाओं पर राम नाम लिखी हूं

डेढ़ वर्षों से राम का नाम लिख रही हूं। कोरोना काल में 35 पुस्तिकाओं पर राम नाम लिखी हूं। बेटी दिशा बिहानी भी खाली समय में राम नाम लिखती है। इससे मन के विचार बदलने के साथ ही स्वभाव में भी बदलाव होता है। कई लोग मिलकर प्रेस में कापी छपवा कर बांटते भी हैं। कोरोना काल में राम नाम के अलावा कुछ सोचना का मौका नहीं मिलता है। राम नाम में बहुत शक्ति है। मन को शांति व संतुष्टि मिलने के साथ ही सकारात्मक सोच बनी रहती है। - स्मिता बिहानी, व्यवसाई, बूढ़ेनाथ मीरजापुर

राम का नाम ही एक मात्र सहारा है

राम का नाम ही एक मात्र सहारा है। जन्म व मरण के समय भी प्रभु राम का ही नाम लेते हैं । ऐसे में अभी से राम का नाम लेने से भटकाव नहीं होता है। ऐसे में मैं राम नाम लगातार लिखता रहता हूं। मन में शांति व आत्मिक संतुष्टि होती है। कोरोना काल में ट्यूशन बंद होने के बाद अब राम का नाम लिखना ही सहारा है। ऐसे हालात में अपनी दाल-रोटी चल रही है तो राम के ही सहारे। बिहार, दिल्ली, सोनभद्र, सासाराम, गया, व मुंबई तक के लोगों को पुस्तिका कोरियर से भेजते हैं।- शिवराम शर्मा, शिक्षक मीरजापुर

राम का नाम लिखने से अपार आनंद की अनुभूति होती है

राम का नाम लिखने से अपार आनंद की अनुभूति होती है। राम नाम ही एक अधार है जो मन, बुद्धि व शरीर को एकाकार कर देता है। राम नाम लिखते समय लगता है कि भगवान को पत्र लिख रहा हूं। राम की प्रेरणा में आने से एक नशा सा हो गया है। कोरोना काल में राम का नाम लिखने से संबल मिलता है। भौतिक युग में अध्यात्म से ही कोरोना का भय नष्ट हो सकता है। अब तक 30 लाख राम का नाम लिख चुके हैं। इससे ज्यादा लोगों को कापियां बांट चुके हैं।

- नंदलाल चौरसिया, व्यवसाई, मीरजापुर

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