आजमगढ़ डीआइजी सुभाष चंद्र दुबे की पहल पर मासूम को बचाने के लिए खून देने दौड़ पड़े तीन सिपाही

पुलिस की पहल से तीन दिन के मासूम की जान बच गई। गंभीर बीमारी से जूझ रहे मासूम की जान बचाने के लिए ओ निगेटिव ब्लड की दरकार थी। तीमारदार मशक्कत के बावजूद खून न जुटा सके तो डीआइजी से मदद की गुहार लगाई गई।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 20 May 2021 07:22 PM (IST) Updated:Thu, 20 May 2021 07:22 PM (IST)
आजमगढ़ डीआइजी सुभाष चंद्र दुबे की पहल पर मासूम को बचाने के लिए खून देने दौड़ पड़े तीन सिपाही
पुलिस की पहल से तीन दिन के मासूम की जान बच गई।

आजमगढ़, जेएनएन।  पुलिस की पहल से तीन दिन के मासूम की जान बच गई। गंभीर बीमारी से जूझ रहे मासूम की जान बचाने के लिए ओ निगेटिव ब्लड की दरकार थी। तीमारदार मशक्कत के बावजूद खून न जुटा सके तो डीआइजी से मदद की गुहार लगाई गई। पता चला कि मासूम का इलाज मऊ में चल रहा है। डीआइजी ने मऊ पुलिस को अलर्ट किया तो तीन सिपाही ब्लड देने को दौड़ पड़े। हालांकि, वहां डॉक्टर ने एक यूनिट ब्लड से ही काम चलने की बात कही, जिसे कांस्टेबल अरुण कुमार रॉय ने उपलब्ध कराया।

गाजीपुर के रिजवान ने पुलिस उपमहानिरीक्षक सुभाष चंद्र दुबे काे फोन से अपने मासूम बच्चे की जान खतरे में पड़ने की जानकारी दी। कहाकि साहब प्रयास के बावजूद ओ निगेटिव ब्लड का इंतजाम नहीं कर पा रहा हूं। डीआइजी ने रिजवान से बात की तो पता चला कि वह तो गाजीपुर का रहने वाला है। जबकि बच्चे का इलाज मऊ में चल रहा है। उन्होंने एसपी मऊ सुशील घुले को फोन पर रिजवान की मदद करने के निर्देश दिए। एसपी ने भी दरियादिली दिखाई और पुलिस लाइंस से तीन सिपाहियों काे रिजवान के पास भेज दिया। डॉक्टर ने एक यूनिट ब्लड की जरूरत बताई तो कांस्टेबल अरुण कुमार रॉय ने अपना खून दिया।

डीआइजी ने जागरण को बताया कि रक्त से ही जिंदगी डोर बंधी होती है। ऐसे में इससे बड़ा दूसरा कोई दान नहीं हो सकता है। पुलिस का काम सुरक्षा देना ही तो होता है। पुलिस ने एक मासूम की जान बचाकर यही तो किया है। ईश्वर ने माध्यम मुझे बनाया यह मेरे लिए प्रसन्नता की बात है। मऊ के एसपी की जितनी सराहना की जाए कम है। उन्होंने मेरे कहने का तुरंत संज्ञान लेते हुए मदद को कदम बढ़ा दिए। तीनों सिपाहियों को भी आभार, जिन्होंने भी रुचि दिखाते हुए  पहुंचे अस्पताल और अरुण ने ब्लड देकर जान बचाई।

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