वाराणसी के पद्मश्री सम्मानितों में जुड़ गए तीन और नाम, राष्‍ट्रपति भवन में मिला सम्‍मान

काशी के डोमराजा स्व. जगदीश चौधरी काे मरणोपरांत उनका पद्मश्री सम्मान लेने दिल्ली उनके पुत्र ओम चौधरी पहुंचे थे। वहीं भदोही जिले के मूल निवासी रहे प्रो. रामयत्न शुक्ल और विकासशील किसान चंद्रशेखर सिंह को भी राष्ट्रपति भवन में काशी का मान बढ़ाने का मौका मिला।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 10:30 PM (IST) Updated:Tue, 09 Nov 2021 10:30 PM (IST)
वाराणसी के पद्मश्री सम्मानितों में जुड़ गए तीन और नाम, राष्‍ट्रपति भवन में मिला सम्‍मान
वाराणसी के डोमराजा जगदीश चौधरी (मरणोपरांत), प्रो. रामयत्‍न शुक्‍ल और चंद्रशेखर सिंह को पद्मश्री सम्‍मान मिला है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। डोमराजा स्व. जगदीश चौधरी काे मरणोपरांत उनका पद्मश्री सम्मान लेने दिल्ली उनके पुत्र ओम चौधरी पहुंचे थे। वहीं भदोही जिले के मूल निवासी रहे प्रो. रामयत्न शुक्ल और विकासशील किसान चंद्रशेखर सिंह को भी राष्ट्रपति भवन में काशी का मान बढ़ाने का मौका मिला।

पद्म सम्मानितों की सूची में नौ नवंबर को काशी से तीन और नाम जुड़ गए। राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित भव्य समारोह में काशी के डोमराजा स्व. जगदीश चौधरी को मरणोपरांत, श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल ïव विकासशील किसान चंद्रशेखर सिंह को पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। स्व. जगदीश चौधरी को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है। उनका सम्मान लेने उनके पुत्र ओम चौधरी (16 वर्ष) दिल्ली एक दिन पूर्व अपने सहयोगी अभिषेक शर्मा के साथ पहुंच गए थे। 

काशी की तीन विभूतियों को पद्मश्री सम्मान की घोषणा 26 जनवरी को की गई थी। इसमें डोमराजा जगदीश चौधरी का अगस्त 2020 में निधन हो चुका है। वह 26 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव में प्रधीनमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे। उनके पुत्र ओम चौधरी ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि पिता के लिए इतना बड़ा सम्मान ग्रहण करने का मौका मिल रहा है। यह हम सबके लिए गौरव की बात है।

वहीं, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री मिलने से बनारस का विद्वत समाज अभिभूत है। प्रो. शुक्ल 89 वर्ष की अवस्था में भी शंकुलधारा पोखरा स्थित आवास पर विद्यार्थियों को संस्कृत व्याकरण के सूत्रों पर टिप्पणी व व्याख्यान देते रहते हैं। भदोही के एक गांव में 1932 में जन्मे प्रो. शुक्ल के पिता राम निरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे। प्रो. शुक्ल ने धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज व स्वामी चैतन्य भारती से वेदांत शास्त्र, हरिराम शुक्ल से मीमांसा और पं. रामचन्द्र शास्त्री से दर्शन व योग शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की। बीएचयू संस्कृत विद्या धर्मविद्या संकाय में आचार्य और संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय में व्याकरण विभाग में अध्यक्ष पद सुशोभित कर चुके हैं। उन्हें 2015 में संस्कृत भाषा का शीर्ष सम्मान विश्वभारती प्रदान किया जा चुका है।

इसके अलावा विकासशील किसान चंद्रशेखर सिंह अच्छी नस्ल की बीजों पर प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए उन्हें 2010 में राष्ट्रपति पुरस्कार व इससे पहले 2008 में प्रगतिशील किसान अवार्ड मिल चुका है। राजातालाब (टडिय़ा) निवासी चंद्रशेखर सिंह अवार्ड के लिए दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि बाबा विश्वनाथ, नीलकंठ, मयूरी, दामिनी जैसे नई वेरायटी के बीज काफी सफल रहे हैं। उनके पिता भी अच्छे बीज पर काम करते रहे हैैं। चंद्रशेखर सिंह चार भाइयों में सबसे बड़े हैं उनके सभी भाई बीज पर ही काम करते हैं।

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