वाराणसी कचहरी में बेरोकटोक आते-जाते हैं हजारों लोग, जांच करने के लिए नहीं है मेटल डिटेक्टर

रोहिणी कोर्ट में धुआंधार फायरिंग की घटना ने कचहरी की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इन घटनाओं को लेकर पुलिस व प्रशासन सजग है लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट ही है। वाराणसी कचहरी में अब भी सुरक्षा न के बराबर होने से चिंता जस की तस है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:52 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 09:52 PM (IST)
वाराणसी कचहरी में बेरोकटोक आते-जाते हैं हजारों लोग, जांच करने के लिए नहीं है मेटल डिटेक्टर
कचहरी केप्रवेश द्वार पर न तो मेटल डिटेक्टर लगा और न ही किसी प्रकार की सुरक्षा जांच हो रही थी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में धुआंधार फायरिंग की घटना ने कचहरी की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इन घटनाओं को लेकर पुलिस व प्रशासन बड़ा है सजग है लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट ही है। कचहरी में अब भी सुरक्षा न के बराबर होने से चिंता जस की तस है।

फायरिंग की घटना के बाद उम्मीद थी कि कचहरी परिसर में सुरक्षा को लेकर कुछ सजगता देखने को मिलेगी, मगर यहां तो कोई फर्क नहीं पड़ा। कचहरी हमेशा से संवेदनशील रही है। माफिया, शूटर और टेरेरिस्ट पेशी पर अक्सर आते हैं। गेट नंबर एक पर पुलिस की तैनाती न होनी हैरानी का सबब है। मेटल डिटेक्टर भी देखने तक को नहीं मिले। कचहरी के सभी प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा में लापरवाही का आलम है। कोर्ट में गैंगवार की घटना से इसलिए भी इन्कार नहीं किया जा सकता क्योंकि यहां पूर्वाचल के दो बड़े गैंग के सरगना समेत उनके करीबी अक्सर पेशी पर आते हैं।

कचहरी में 2007 में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद सुरक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार की जरूरत महसूस की गई। गाहे-बगाहे अफसरों ने योजनाएं बनाईं और प्रस्ताव आगे बढ़ाए। मगर सच्चाई कड़वी है, परिसर की सुरक्षा के लिए अब तक कोई भी योजना मूर्तरूप नहीं ले सकी है। कचहरी धमाकों के बाद परिसर में खड़े होने वाले वाहनों को बाहर करा दिया गया तो प्रवेश द्वारों पर जांच के लिए डीएफएमडी (डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर) के साथ फोर्स की नियमित ड्यूटी लगाई गई। हालांकि समय के साथ सभी व्यवस्थाएं कोरम मात्र बनकर रह गईं। हालांकि कचहरी की चहारदीवारी जरूर ऊंची कर दी गई है व अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

पार्किंग सबसे बड़ा खतरा

रोजाना हजारों की भीड़ कचहरी परिसर में आवाजाही करती है। बाइक से ही आधा कैंपस पटा रहता है। किसी तरह की जांच पार्किंग में नहीं की जाती है। हजारों बाइक कचहरी के चारों ओर सड़क पर रहती हैं।

सुरक्षा हो सुदृढ़

सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली रोहिणी कोर्ट की घटना को देखते हुए कचहरी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए। यहां पहले आतंकी घटनाएं हो चुकी है जिसमें कई अधिवक्ता और आम नागरिक मारे गए थे। शासन-प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को कई दफा बयान आ चुके हैं लेकिन कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई। पूरे प्रदेश की जिला न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार के मुखिया द्वारा काफी समय पहले बयान दिया गया था कि स्पेशल फोर्स के हाथों सुरक्षा व्यवस्था सौंपी जाएगी लेकिन अभी तक उसपर कोई अमल नहीं किया गया। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था की ओर प्रशासन और शासन का ध्यान आकृष्ट कराया था लेकिन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं दिखाई दिया।

भगवान भरोसे सुरक्षा

बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद कुमार पांडेय न कहा कि रोहिणी कोर्ट की घटना काफी चिंतनीय और निंदनीय है। यहां के कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था तो भगवान भरोसे ही है। कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से कई दफा बात की गई। उनकी ओर से आश्वासन भी दिया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती देख तो यही लगता है कि कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं है। जांच करने के लिए कचहरी के प्रवेश द्वारों पर पुलिसकर्मी तैनात तो किए गए हैं लेकिन अपने दायित्वों के प्रति कितने गंभीर हैं ये किसी से छुपी नहीं है।

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