संस्कृत विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में होगी एकरूपता, भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ रोजगारपरक पाठ्यक्रम बनाने का प्रयास

आधुनिक विश्वविद्यालयों की भांति यहां समान पाठ्यक्रम लागू करना संभव नहीं हैं। हालांकि देशभर में स्थापित संस्कृत विश्वविद्यालयों का एक समान पाठ्यक्रम बने। इसे लेकर विश्वविद्यालय देश के सभी 17 संस्कृत विश्वविद्यालयों से संपर्क साध रहा है। संस्कृत विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों की भांति एकरूपता बनाने का प्रयास किया जा जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 08:30 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 08:30 AM (IST)
संस्कृत विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में होगी एकरूपता, भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ रोजगारपरक पाठ्यक्रम बनाने का प्रयास
नए सत्र से सूबे के सभी राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर का न्यूनतम कामन सिलेबस लागू होगा।

वाराणसी, जेएनएन। नए सत्र से सूबे के सभी राज्य विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर का न्यूनतम कामन सिलेबस लागू होगा। इस क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित सभी विश्वविद्यालयों ने तैयारी तेज कर दी है। वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री (स्नातक) का सिलेबस कामन नहीं होगा। हालांकि देश के अन्य संस्कृत विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों की भांति एकरूपता बनाने का प्रयास किया जा जाएगा।

संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री के पाठ्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों से भिन्न है। यहां वेद, वेदांत, मीमांसा, सांख्ययोग तंत्रागम, पुराणेतिहास, बौद्ध दर्शन, प्राकृत, जैनागम सहित अन्य प्राच्य विद्या की पढ़ाई होती है। सूबे के आधुनिक विश्वविद्यालयों के संस्कृत विभागों में प्राच्य विद्या की शाखाओं की अलग-अलग पढ़ाई नहीं होती है। ऐसे में आधुनिक विश्वविद्यालयों की भांति यहां समान पाठ्यक्रम लागू करना संभव नहीं हैं। हालांकि देशभर में स्थापित संस्कृत विश्वविद्यालयों का एक समान पाठ्यक्रम बने। इसे लेकर विश्वविद्यालय देश के सभी 17 संस्कृत विश्वविद्यालयों से संपर्क साध रहा है। गत दिनों बैठक में कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने भी संकायाध्यक्षों व विभागाध्यक्षों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप रोजगारपरक पाठ्यक्रम बनाने का निर्देश दिया था। इस दौरान उन्होंने पहली यूनिट में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित विषय वस्तु शामिल करने, शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रथम व द्वितीय वर्ष में रिसर्च ओरिएंटेड जोडऩे का सुझाव दिया गया था तथा तीसरे वर्ष प्रोजेक्ट वर्क रखने का निर्देश दिया है। कुलपति के निर्देश पर संकायाध्यक्षों व विभागाध्यक्षों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। जुलाई तक बोर्ड ऑफ स्टडीज से पास कराने का निर्णय लिया है।

chat bot
आपका साथी