विवाह में होता है शुद्ध और अशुद्ध मुहूर्त, कन्या और वर की आयु का भी पुराणों में वर्णन
भारतीय वैदिक ज्योतिष परंपराओं में विवाह के लिए भी होता है शुद्ध और अशुद्ध मुहूर्त। वहीं कन्या और वर की आयु का भी नारद पुराण में वर्णन मिलता है। इस लिहाज से परंपराओं के अनुसार तिथियों का मान देखा जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। नव वर्ष 2021 का आगाज हो चुका है, सामान्यतः खरमास (14-15 जनवरी) की समाप्ति के बाद वैवाहिक मुहूर्त यानी लग्न शुरू हो जाते हैं। लेकिन, इस बार ग्रहों की गणना के मुताबिक शुभ मुहूर्त 24 अप्रैल से ही प्रारंभ होंगे। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार इस वर्ष के शुद्ध अशुद्ध व अति आवश्यक में विवाह मुहूर्त की तारीख है।
शुद्ध समय में चैत्र शुक्ल 8, मंगलवार 20 अप्रैल से आषाढ़ शुक्ल पांच गुरुवार 15 जुलाई 2021 तक, कार्तिक शुक्ल 11 सोमवार 15 नवंबर 2021 से मार्गशीर्ष शुक्ल 11 मंगलवार 14 दिसंबर 2021 तक ही है।
शुभ विवाह के मुहूर्त यानी तिथियां : अप्रैल में 24, 25, 26, 27, व 30 मई माह में 7, 8, 9, 14, 15, 21, 22, 24, 26 व 30। जून माह में 3, 5, 19,20, 26,30 है। जुलाई में 12 व 15। नवंबर माह में 16, 19, 20, 21, 28, 29 व 30 । दिसंबर माह में 1, 2, 7, 11, 12, 13।
आवश्यकता की स्थिति में विवाह मुहूर्त : अप्रैल में 22, 23, 25, 28 व 29 है। मई माह में 13, 19, 20, 24, 25, 27, 28, 29, है। जून माह में 4, 5, 9, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22 व 23 जुलाई माह में 6 7 12 व 13। नवंबर माह में 26, 27 व 29। दिसंबर माह में 3, 4, 5, 7, 12 है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार ज्योतिष गणना के मुताबिक वर्ष 2021 में अशुद्ध मुहूर्त भी है।
अशुद्ध समय : पौष शुक्ल 2, शुक्रवार 1 जनवरी 2021 से चैत्र शुक्ल 7, सोमवार, 19 अप्रैल तक गुरु-शुक्र अस्त, होलाष्टक, धनु (खरमास) के कारण समय अशुद्ध रहेगा। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल 6, शुक्रवार, 16 जुलाई 2021 से कार्तिक शुक्ल 10, शनिवार, 13 नवंबर तक हरिशयन कर्कायन के कारण समय अशुद्ध रहेगा। जिसके कारण वैवाहिक मुहूर्त नहीं बनते। मार्ग शीर्ष शुक्ल 12, बुधवार, 15 दिसंबर 2021 से पौष शुक्ल 12, शुक्रवार, 14 जनवरी 2022 तक धनु (खरमास) के कारण समय अशुद्ध रहेगा।
आयु का भी महत्व : विशेष तौर पर वैवाहिक मुहूर्त की गणना में वर-वधू के जन्म कुंडली में उपस्थित ग्रहों के विचार एवं वर के सूर्य ग्रह और कन्या के बृहस्पति ग्रह का बल देखना नितांत आवश्यक होता है। शुभ विवाह के लिए कन्या की आयु सम में 20, 22, 24 आदि तथा वर की आयु विषम वर्षों में जैसे 21, 23 होनी चाहिए, ऐसा नारद पुराण में भी माना गया है। आवश्यकता परिस्थिति में विधि विधान से पूजा और दान आदि से विवाह करना शुभ फलदाई माना गया है।