मास्क असली है या नकली, ऐसे करें पहचान, जानिए क्या हैं चिकित्सकों की राय
कोरोना महामारी से बचाव के लिए इस वक्त मास्क जरूरी हो चुका है। वहीं नकली मास्क भी बाजार में उपलब्ध हो गए हैं। ऐसे में असली और नकली मास्क की पहचान अवश्य करें।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी से बचाव के लिए इस वक्त मास्क जरूरी हो चुका है। गंदे ठेले, सड़क की दीवार पर, छतरी आदि पर मास्क की अस्थायी दुकानों की इस समय भरमार हो गई है। यहां पर सस्ते दाम पर मास्क उपलब्ध हैं। इसमें एन-95 मास्क की तरह भी मास्क हैं। इस तरह मिलने वाले मास्क कितने हाइजीनिक और असली हैं ये भी ध्यान देने की जरूरत है। इन दुकानों पर ग्राहक सीधे मास्क को छूकर देखते हैं। इससे मास्क संक्रमित हो सकता है। वहीं चिकित्सकों के अनुसार अगर मास्क पहनकर फूंक मारने से मोमबत्ती न बुझे तो वह ठीक है।
इनका रखें ध्यान
कॉटन के कपड़े का तीन लेयर वाला मास्क सामान्य लोगों के लिए ठीक है। हालांकि एन 95 या एन 99 मास्क तो सबसे बेहतर है। जिन लोगों को इस वक्त मौसमी बीमारी जैसे सर्दी, खांसी, बुखार आदि है उन्हेंं भी एन-95 मास्क पहनना चाहिए। कोरोना संक्रमित मरीज के लिए एन-95 मास्क सटीक है। बाजार में कहीं भी ठेले या गंदी दीवारों पर रखे गए मास्क हाइजीनिक नहीं होते हैं। अगर ठेले पर मास्क बेचा जा रहा है तो उसके ऊपर समय-समय पर सैनिटाइजर का स्प्रे होना जरूरी है ताकि उसके पैकेट पर कोई संक्रमण हो तो वह समाप्त हो जाए। ग्राहक को पैकेट खोलकर मास्क न देखने दें। कभी भी किसी दूसरे का प्रयोग किया मास्क न लगाएं। यहां तक कि घर के सदस्य भी ऐसा न करेंफूंक मारने पर यदि मोमबत्ती नहीं बुझ रही है तो वह ठीक है
बीएचयू के माइक्रो बायोलाजिस्ट प्रो. गोपालनाथ ने बताया कि मास्क कोई भी हो पहनने के बाद फूंक मारने पर यदि मोमबत्ती नहीं बुझ रही है तो वह ठीक है। कोई भी कपड़ा बांधने पर थोड़ी बहुत सुरक्षा तो होती ही है। मगर एन-95 या एन-99 मास्क बेहतर विकल्प है ।
मास्क की सफाई प्रतिदिन होनी चाहिए
मंडलीय अस्पताल वरिष्ठ परामर्शदाता डा.एके सिंह का कहना है कि -कोरोना के साथ ही इस समय वायरल बीमारियों का समय चल रहा है। मास्क उनमें भी जरूरी है। मास्क की सफाई प्रतिदिन होनी चाहिए। अभी मास्क पहनना इसलिए जरूरी है। अगर आपके बगल से रास्ते में भी कोई संक्रमित व्यक्ति जाता है तो मास्क इससे आपको बचाएगा।