खरमास की शुरुआत से मांगलिक कार्यों में विराम, सूर्य के साथ ग्रहों का योग दे रहा उथल पुथल का संकेत
Kharmas 2020 खरमास माह शुरू हो चुका है इस दौरान सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसकी वजह से मांगलिक कार्यों पर जहां विराम लग गया वहींं शहनाई की धुन भी थम चुकी है। इसके अलावा 12 राशियां भी अपना प्रभाव बदल चुकी हैं।
वाराणसी, जेएनएन। सूर्य के राशि परिवर्तन से खरमास माह शुरू हो चुका है। इस दौरान सूर्य ग्रहण के बाद वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसकी वजह से मांगलिक कार्यों पर जहां विराम लग गया वहींं शहनाई की धुन भी थम चुकी है। इसके अलावा 12 राशियां भी अपना प्रभाव बदल चुकी हैं। खरमास के दौरान कर्क तुला कुंभ और मीन राशि वालों के लिए ग्रह अनुकूल माना गया है।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रह का नौ ग्रहों में प्रमुख स्थान माना गया है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्य ग्रह प्रत्येक मास अपनी राशि बदलते हैं। जिसका प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है। सूर्य ग्रहण से इस दौरान धनु राशि में प्रवेश करेंगे तो सूर्य के धन राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास माह प्रारंभ हो गया है। इस अवधि में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। समस्त मांगलिक कार्य स्थगित हो जाते हैं, इसके साथ ही विवाह गृह प्रवेश, नव प्रतिष्ठान या व्यवसाय, वधू प्रवेश, मुंडन, नव निर्माण आदि सभी कार्यक्रम खरमास की समाप्ति तक प्रतिबंधित रहेंगे।
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खरमास का प्रारंभ और अंत
सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन 15 दिसंबर मंगलवार को रात्रि 9:30 पर हो चुका है। सूर्य ग्रहण 14 जनवरी 2021 गुरुवार को सुबह 8:15 तक धनु राशि में रहेंगे। इसके पश्चात सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। वर्तमान समय में शनि एवं मकर राशि में ही विराजमान हैं।
ग्रहों का योग दे रहा उथल पुथल का संकेत
ग्रहों के योग के अनुसार विश्व में अकल्पित अप्रत्याशित अनहोनी घटनाएं देखने को मिलेंगी। राजनीतिक उथल-पुथल, देश विदेश के राजनीतिक घटनाक्रम में अचानक तेजी से बदलाव और गतिविधियां प्रभावित होंगी। वायदा कारोबार, सोना-चांदी, तांबा, पीतल एवं धातु में उतार-चढ़ाव के योग बनेंगे और बाजार में हलचल देखने को मिलेगी। इस युति से दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। कई देशों में राजनीतिक नेताओं को आरोपों का सामना करना पड़ेगा। मौसम में अजीबोगरीब बदलाव और परंपराएं भी प्रभावी रहेंगी। आर्थिक घोटाले शासन-प्रशासन के लिए नए सिरदर्द साबित होंगे।
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