वाराणसी में जीएसटी के खिलाफ बंदी बेअसर, बाजार में रही रौनक तो जारी रहा कारोबार
वाराणसी में जीएसटी के खिलाफ कुछ संगठनों द्वारा शुक्रवार को भारत बंदी का काशी में असर नहीं दिखा। कैट संगठन द्वारा बंदी के फैसले का तमाम व्यापारिक संगठनों ने समर्थन नहीं दिया। इसके कारण लगभग सभी दुकानें खुली रही।
वाराणसी, जेएनएन। जीएसटी के खिलाफ कुछ संगठनों द्वारा शुक्रवार को भारत बंदी का काशी में असर नहीं दिखा। कैट संगठन द्वारा बंदी के फैसले का तमाम व्यापारिक संगठनों ने समर्थन नहीं दिया। इसके कारण लगभग सभी दुकानें खुली रही। हालांकि इस बीच कैट की ओर से प्रमुख बाजारों में दुकानें बंद करने के लिए अपील जरूर की जा रही थी।
फेडरेशन ऑफ आल इंडिया व्यापार मंडल व महानगर उद्योग व्यापार समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि कैट के द्वारा 26 फरवरी को पूरे भारत बंद स्वीकार्यता नहीं रही। पूर्वांचल के साथ-साथ वाराणसी में भी ठोक व फुटकर की दुकानें पूरी तरह खुली रह। भारत के बाजार की मंडियां दुकानें बंद कराने का ख्वाब देखते हैं यह व्यापारियों के साथ धोखा नहीं तो और क्या है। जिन छोटे दुकानदारों की अगर दुकानें बंद की होती तो आज उनके दुकान का किराया कर्मचारियों की तनख्वाह और बिक्री ना होने से जो नुकसान हुआ होता तो उसका भुगतान कौन करता। समिति ने बताया कि बंद पूरी तरह विफल गया। पूर्वांचल सारा खुला पड़ा रहा। वाराणसी सारा खुला पड़ा रहा। एक दुकान बंद नहीं हुई। यानी छोटे दुकानदारों को चाहिए कि वह वे स्वयं फैसला करें और बड़े संगठनों के हाथों की कठपुतलियां ना बन।े
कोविड-19 काल की वजह से व्यापारी ऐसे ही टूट चुका है और जीएसटी ने तो व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है। ऐसे में व्यापारी बंदी क्या करेगा। जो बात वार्ता से होती है विरोध स्वरूप नहीं हो पाती। इसके लिए समिति ने पहले ही प्रधानमंत्री से जीएसटी के सरलीकरण के लिए गुहार लगाई है। बंदी के विरोध में प्रमुख रूप से प्रेम मिश्रा, अशोक जायसवाल, अजय जायसवाल बबलू, रजनीश कनौजिया, सोमनाथ विश्वकर्मा, मनीष गुप्ता, गौरव सुनेजा, संजय सिंह, वेद अग्रवाल, विनोद गुप्ता, हृदय गुप्ता, सुरेश तुलस्यान, डा. अंजनी मिश्रा, संजय साहू, युवा अध्यक्ष मनीष चौबे, पिंटू यादव, भास्कर केसरी आदि लोग थे।