अब संस्‍कृत में सुनिए 'तेरी आख्या का यो काजल', बीएचयू के दिव्‍यांग छात्र का वीडियो वायरल

बीएचयू के दिव्यांग छात्र इंद्रजीत भोजपुरी और हरियाणवी गीतों को संस्कृत कलेवर देकर इन दिनों इंटरनेट मीडिया में चर्चा में बने हुए हैं। इंटरनेट मीडिया पर उनके गाने खूब वायरल हो रहे हैं। देववाणी संस्‍कृत का उच्चारण बेहद स्पष्ट और मधुर आवाज इस दिनों चर्चा में है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Fri, 19 Feb 2021 03:47 PM (IST) Updated:Fri, 19 Feb 2021 05:17 PM (IST)
अब संस्‍कृत में सुनिए 'तेरी आख्या का यो काजल', बीएचयू के दिव्‍यांग छात्र का वीडियो वायरल
बीएचयू के दिव्यांग छात्र इंद्रजीत गीतों को संस्कृत कलेवर देकर इंटरनेट मीडिया में चर्चा में बने हुए हैं।

वाराणसी [हिमांशु अस्‍थाना]। बीएचयू के दिव्यांग छात्र इंद्रजीत भोजपुरी और हरियाणवी गीतों को संस्कृत कलेवर देकर इन दिनों इंटरनेट मीडिया में चर्चा में बने हुए हैं। इंटरनेट मीडिया पर उनके गाने खूब वायरल हो रहे हैं। देववाणी संस्‍कृत का उच्चारण बेहद स्पष्ट और मधुर आवाज इस दिनों चर्चा में है। बीएचयू के बिड़ला छात्रावास में रहकर शिक्षा अर्जित करने वाले आंखों से दिव्यांग छात्र इंद्रजीत अपने संस्कृत गायन को लेकर इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। अयोध्या निवासी इंद्रजीत अब भोजपुरी और हरियाणवी गीतों का भी संस्कृत वर्जन का गायन कर रहे हैं।

भोजपुरी में अमृत के धार केहू पियाई माई बिना और हरियाणवी तेरी आख्या का यो काजल जैसे गीतों को उन्होंने अपनी आवाज इस तरह दी कि वह अब इंटरनेट की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा बन गए हैं। इंद्रजीत का संस्कृत उच्चारण बेहद स्पष्ट और मधुर वाणी के साथ इंटरनेट मीडिया में चर्चा पा रहा है। इंद्रजीत वर्तमान में राजस्थान की तीर्थयात्रा पर निकले हैं जहां संतों और संन्यासियों संग अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 

'त्व नेत्रा यो काजालम, माम् करोति कांते विद्धम, त्वं सहजम पादं रक्षे:, मम् ह्रदयस्पंद ते श्रोणि, मम पलम-पलम प्रति पलम स्मरणं ते त अयाति रे, हाय तव रूपम ह्रदयम विशयाग्निम ज्वालायते।' यह किसी धर्मग्रंथ का छंद नहीं बल्कि लोकप्रिय हरियाणवी गाना तेरी आख्या का यो काजल का संस्कृत वर्जन है, जो बीएचयू की सुनहरी वादियों में अक्सर सुनी जा सकती है। देवघर, झारखंड में संस्कृत पाठशाला के शोधार्थी व लोकप्रिय कलाकार पंकज झा द्वारा अनुवादित गाने को जब-जब बीएचयू के नेत्रहीन छात्र इंद्रजीत अंगुली बजाकर गाते हैं, तो उसने कैंपस में उनके आसपास काफी भीड़ जुटकर शांतिपूर्वक उसे सुनती है। वहीं ये वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर धमाल मचाते रहे हैं। धुर हरियाणवी जुबान के गाने को संस्कृत के शुद्ध उच्चारण के साथ इंद्रजीत ने ऐसा गाया कि जैसे लग रहा हो असली लिरिक्स संस्कृत में ही लिखी गई है। इंद्रजीत इसके अलावा एक भोजपुरी गाना अमृत धार केहू केतनो पिआई एगो माई बिना का भी संस्कृत वर्जन जल्द ही ला रहे हैं, जिसका अनुवाद उन्होंने खुद ही किया है।

बांसूरी और माउथ आर्गन का नया प्रयोग

संस्कृत में गायन के साथ ही वह अब बांसूरी और माउथ आर्गन से विभिन्न आध्यात्मिक व भोजपुरी गानों का धुन बजा रहे हैं। नदिया के पार फिल्म का गाना जब तक होवे ना फेरे चार और झूठ बोले कौवा काटे जैसे गानों को बड़े मनमोहक अंदाज में वह प्रस्तुत करते हैं, जिसे सुन बीएचयू के छात्र अपनी यादों की दुनिया में खो जाते हैं।

छोटा भाई भी बचपन से नेत्रहीन

अयोध्या के निवासी इंद्रजीत बीएचयू में संस्कृत विभाग में बीए द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। वह और उनका एक छोटा भाई बचपन से ही दृष्टिहीन है। माता गृहणी और पिता किसी प्रकार मजदूरी कर घर का खर्च चलाते हैं। इंद्रजीत कुल तीन भाई और दो बहन हैं।

इंद्रजीत कहते हैं कि उनके जीवन में भले ही भौतिक उजाले का अभाव हो मगर बीएचयू ने उनके जीवन को प्रकाशमान कर दिया है। अब जहां भी जाते हैं लोग उन्हें संस्कृत गीतों और मूरलीवाले इंद्रजीत जी के नाम से जानते हैं। शिव तांडव से अपने गायकी की कहानी शुरू करने वाले इंद्रजीत ने कैलास के निवासी, धीरे-धीरे से मेरी जिदंगी में आना, राजा बाबू, दर्जनों गानों का संस्कृत वर्जन गाया और वायरल भी हुए। अभी वह राजस्थान में संन्यासियों के साथ धर्म-संगत में लीन हैं, जैसे ही बीएचयू में उनकी कक्षाएं खुलेंगी वह वापस अपने बिड़ला हास्टल में आ जाएंगे।

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