गाड़ी नंबर बताइए और लीजिए प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र, एनजीटी ने सख्ती से कार्रवाई का दिया निर्देश

एनजीटी ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुराने वाहनों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। प्रदूषण जांच केंद्र पर वाहनों की गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया है। मौके पर बिना वाहन आए प्रदूषण जांच केंद्र संचालक प्रमाणपत्र जारी कर दे रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:54 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:54 AM (IST)
गाड़ी नंबर बताइए और लीजिए प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र, एनजीटी ने सख्ती से कार्रवाई का दिया निर्देश
परिवहन कार्यालय के पास खुले प्रदूषण जांच केंद्रों में चल रहा है।

वाराणसी, जेपी पांडेय। वाहनों से निकलने वाले जहरीले धुएं सबसे अधिक खतरनाक है। कई शहरों में सात से 10 साल तक पुराने वाहनों को बाहर किए जा रहे हैं। बनारस में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुराने वाहनों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। प्रदूषण जांच केंद्र पर वाहनों की गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया है। मौके पर बिना वाहन आए प्रदूषण जांच केंद्र संचालक प्रमाणपत्र जारी कर दे रहे हैं। सिर्फ गाड़ी नंबर बताने की जरूरत है। संचालक प्रदूषण जांच के नाम पर अधिक पैसा लेते हैं। यह खेल बाबतपुर स्थित परिवहन कार्यालय के पास खुले प्रदूषण जांच केंद्रों में चल रहा है। दैनिक जागरण की पड़ताल में तीन प्रदूषण जांच केंद्र सामने आएं है।

परिवहन कार्यालय में साढ़े नौ लाख से अधिक छोटे-बड़े वाहन पंजीकृत हैं। इनमें करीब तीन लाख वाहन 15 साल पुराने हैं। परिवहन विभाग ने 1.83 लाख वाहन को कंडम घोषित करने के साथ वाहन स्वामियों को नोटिस जारी किया है। पिछले वर्षों बनारस दौरे पर आए एनजीटी की टीम ने जिला प्रशासन के अलावा परिवहन अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की थी। तत्कालीन एआरटीओ अमित राजन राय, सर्वेश सिंह और अरुण राय को पुराने के साथ अधिक धुआं देने वाले वाहनों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। साथ में कार्रवाई से अवगत भी कराने को कहा था।

अधिक धुआं देने वाले वाहनों को दिखाते हैं कम

परिवहन विभाग ने जनपद में करीब 57 लोगों को प्रदूषण जांच केंद्र का लाइसेंस दे रखा है। केंद्र संचालक नियमों को दर किनार कर मनमाने तरीके से अधिक धुआं देने वाले वाहनों को कम दिखाकर प्रमाणपत्र जारी कर दे रहे हैं। खासकर कर्मशियल वाहनों में खेल होता है।

ऐसे होता है खेल

मौके पर वाहन रहे या नहीं रहे, इससे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक को कोई फर्क नहीं पड़ता है। यदि वाहन मौके पर नहीं है तो संचालक सौदा करते हैं। प्रदूषण जांच केंद्र आनलाइन होने के चलते प्रमाणपत्र में वाहन और उसके नंबर प्लेट का फोटो आता है। संचालक मौके पर गाड़ी नहीं होने पर किसी भी वाहन के नंबर प्लेट पर दूसरे गाड़ी का नंबर लिख देते हैं। साथ ही फोटो खींच लेते हैं।

यह है रेट

दो पहिया वाहन-50 रुपये

तीन पहिया वाहन-70 रुपये

डीजल वाहन-100 रुपये

प्रदूषण जांच केंद्र में फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है

प्रदूषण जांच केंद्र में फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। ऐसे लोगों के खिलाफ जांच कर जल्द कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल कुछ प्रदूषण जांच केंद्र को चिह्नित किया गया है।

-सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ (प्रशासन)

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