संस्कृत विद्यालयों के अध्यापक और कर्मचारी पुरानी और नई दोनों पेंशन योजना से अब भी वंचित

संस्कृत विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 से नियुक्त शिक्षक व कर्मचारी नई व पुरानी दोनों पेंशन योजना के दायरे के बाहर है। सूबे में नई पेंशन योजना लागू होने के 16 साल बाद संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों में पेंशन योजना काे लेकर ऊहापाेह की स्थिति बनी हुई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 11:15 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 11:15 AM (IST)
संस्कृत विद्यालयों के अध्यापक और कर्मचारी पुरानी और नई दोनों पेंशन योजना से अब भी वंचित
संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों में पेंशन योजना काे लेकर ऊहापाेह की स्थिति बनी हुई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। सूबे में एक अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू है। जबकि इससे पहले नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों को पहले की भांति पुरानी पेंशन योजना लागू है। वहीं संस्कृत विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 से नियुक्त शिक्षक व कर्मचारी नई व पुरानी दोनों पेंशन योजना के दायरे के बाहर है। सूबे में नई पेंशन योजना लागू होने के 16 साल बाद संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों में पेंशन योजना काे लेकर ऊहापाेह की स्थिति बनी हुई है।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ इस संबंध में शासन-प्रशासन से कई बार शिकायत भी दर्ज करा चुका है। संघ के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी की ओर से हाल में ही दर्ज कराई गई शिकायत कहा गया कि एनपीएस से योजना लागू होने के 16 वर्ष के बाद प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से संबद्ध प्राइमरी अनुभाग तथा संस्कृत विद्यालयों के नई पेंशन योजना से आच्छादित शिक्षकों व कर्मचारियों की भी उनके अभिदाता एवं नियोक्ता अंशदान की कटौती अब तक शुरू नहीं की गई है।

उन्होंने शासनादेश 13 फरवरी 2019 के अनुरूप संबद्ध प्राइमरी अनुभाग तथा संस्कृत विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों का समस्त अवशेष नियोक्ता अंशदान तथा नियोक्ता अंशदान पर ब्याज का आगणन कराकर आगणित धनराशि खातों में जमा कराए जाने का अनुरोध किया है। अन्यथा व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी है। संघ की बार-बार कड़ी आपत्ति के बाद शासन ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है। माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक डा. हेन्द्र देव सूबे के सभी संयुक्त शिक्षा निदेशक से इस संबंध में यथाशीघ्र पहल करने का निर्देश दिया है।

इस क्रम में उन्होंने संयुक्त शिक्षा निदेशकों से सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से संबद्ध प्राइमरी अनुभाग तथा संस्कृत विद्यालयों ऐसे नियुक्त शिक्षकों का निर्धारित प्रारूप पर ब्यौरा तलब किया है। इसमें जनपद का नाम संस्था, संबद्ध प्राइमरी संस्कृत विद्यालय, विद्यालयों की संख्या, एनपीएस से अच्छादित शिक्षकों व कर्मचारियो की संख्या, शासन से इस मद में आवंटन धनराशि का विवरण, कटौती न होने का कारण सहित अन्य जानकारी मांगी है। ऐसे में 16 साल बाद संबद्ध प्राइमरी अनुभाग तथा संस्कृत विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों काे पेंशन की उम्मीद जगी है।

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