खेती की बातें : अब समय है कि रोपाई से पहले किए गए भूल और गलतियों को सुधारने का

धान की रोपाई अब लगभग पूरी हो चुकी है मगर किसानों में खाद व अन्य रासायनिक ऊर्वरकों के छिड़काव को लेकर काफी असमंजस है। अब समय है कि रोपाई से पहले किए गए भूल और गलतियों को सुधारने का।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 10:18 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 10:18 PM (IST)
खेती की बातें : अब समय है कि रोपाई से पहले किए गए भूल और गलतियों को सुधारने का
यदि अभी भी ऊर्वरकों का नियम के साथ छिड़काव किया जाए तो कोई देरी नहीं हुई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। धान की रोपाई अब लगभग पूरी हो चुकी है मगर किसानों में खाद व अन्य रासायनिक ऊर्वरकों के छिड़काव को लेकर काफी असमंजस है। अब समय है कि रोपाई से पहले किए गए भूल और गलतियों को सुधारने का। यदि अभी भी ऊर्वरकों का नियम के साथ छिड़काव किया जाए तो कोई देरी नहीं हुई है।

बीएचयू में मृदा विज्ञान और कृषि रसायनशास्त्र के विशेषज्ञ प्रो. सतीश कुमार सिंह बताते हैं कि पौधों को विकास करने के लिए 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इनमें यूरिया, जिंक सल्फेट, बोरान और सल्फेट की खासा जरूरत पड़ती है, जिनका छिड़काव अमूमन धान की रोपाई से पहले ही कर लिया जाता है। मगर जो किसान ऐसा नहीं कर सके हैं वे चिंतित न हों।

रोपाई के 20 दिन बाद ही एक बिगहा में 15 से 20 किलो तक यूरिया का छिड़काव कर दें। दूसरी बात बारिश ज्यादा होने से खेतों में पानी भर गया होगा, जिससे जिंक सल्फेट जिंक हाइड्राक्साइड और जिंक कार्बोनेट में तब्दील हो जाता है। मिट्टी को जिंक नहीं मिला पाता तो धान की उत्पादकता काफी घट जाती है। इसकी कमी से खैरा रोग हाेने की संभावना बन गई है। रोपाई के 20-25 दिन बाद जिंक सल्फेट का छिड़काव करें। सौ लीटर पानी में आधा किलोग्राम सल्फेट और दो किलो यूरिया मिलाकर धान के खेत में छिड़क दें। दूसरा छिड़काव 8-10 दिन के बाद करें।

सल्फर कोटेड यूरिया का छिड़काव है जरूरी

प्रो. सतीश सिंह ने कहा कि रोपाई के पहले यदि सल्फर का प्रयोग नहीं किया गया है तो एक बिगहा खेत में 15 किलो यूरिया के साथ दो किलो सल्फर पाउडर मिलाकर छिड़काव कर दें। इसे सल्फर कोटेड यूरिया भी इसे कहते हैं। सल्फर का एक छिड़काव भी काफी है।

50 फीसद खेतो में बोरान की कमी

प्रो. सिंह ने बताया कि दो ग्राम बोरान एक लीटर पानी में घोलकर खेतों में छिड़कना अभी बेहद जरूरी है। बनारस समेत आसपास के जिलों में पचास फीसद तक मिट्टी में बोरान की कमी है। इसका छिड़काव एक बार भी कर दें तो भी पर्याप्त है, क्योंकि इसका प्रभाव धान की उत्पादकता पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।

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