स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- 'महंत नरेंद्र गिरी की हत्या हुई है, आइजी पांच बिस्‍वा जमीन का बनाते थे दबाव'

श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की हत्या की गई है। सोमवार शाम श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के एक कमरे में महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गई थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 08:58 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 08:58 AM (IST)
स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- 'महंत नरेंद्र गिरी की हत्या हुई है, आइजी पांच बिस्‍वा जमीन का बनाते थे दबाव'
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की हत्या की गई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में महंत नरेंद्र गिरी को लेकर तरह तरह की चर्चा इन दिनों इंटरनेट मीडिया में है। इसी क्रम में इंटरनेट मीडिया पर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती का एक दावा वायरल हो रहा है। इस संदेश में उन्‍होंने कहा कि -'महंत ने बताया था, आइजी पांच बिस्वा जमीन देने का दबाव बनाने के साथ ही ट्रस्‍ट का सदस्‍य बनाने का दबाव बनाते हैं।

श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की हत्या की गई है। सोमवार शाम श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के एक कमरे में महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गई थी। स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती का यह दावा इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है।

उन्होंने महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध अवस्था में हुई मृत्यु पर कई सवाल खड़े किए हैं। कहा कि महंत की मृत्यु के बाद आइजी केपी सिंह सबसे पहले मठ कैसे पहुंच गए? कहा कि माघ मेला के समय नरेंद्र गिरि ने बताया था कि आइजी उनके पीछे पड़े हैं और धमकाते रहते हैं। आइजी खुद को ट्रस्ट का सदस्य बनाने और पांच बिस्वा जमीन अपने नाम करने का दबाव बना रहे थे।

स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जो वीडियो सामने आया है, उसमें बलवीर गिरी नरेंद्र गिरि के शव के पास खड़े थे। मठ में गनर रहते थे। अगर महंत जी के कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो इन लोगों ने उसे तोड़ा क्यों? गनर को बुलाना चाहिए था। पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी। रस्सी तीन हिस्से में क्यों थी? इसका मतलब इन सब के पीछे यही लोग हैं। जांच एजेंसी को सारे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल कर सच सामने लाना चाहिए।

स्वामी नरेंद्रनानंद सरस्वती ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि ने दो-तीन साल पहले वसीयत लिखी थी। वसीयत के गवाह प्रयागराज के ही टीकरमाफी आश्रम के हरि चैतन्य ब्रह्मचारी जी थे। यह बात नरेंद्र गिरि ने खुद उनसे बताई थी। अगर वह वसीयत रद हुई थी तो गवाही तो रद नहीं हुई थी। बीते 15 दिनों में जो भी महंत नरेंद्र गिरि से मिले थे, उन सभी की जांच कराई जाए तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आनंद गिरी मठ और मंदिर के संचालन में सक्षम थे। वह पूरी व्यवस्था को कंट्रोल कर सकते हैं। फिलहाल बलि का बकरा तो उन्हें ही बनाया जा रहा है।

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