खेती किसानी का दौर : दिन में धूप, रात में ओस, धान की फसल में बढ़ा झुलसा रोग का खतरा

सुबह से ही चटख धूप खिल रही। इससे धान की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। दिन में तापमान अधिक होने और रात के वक्त नमी और ओस फसल पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। ऐसे में किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 07:55 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 07:55 AM (IST)
खेती किसानी का दौर : दिन में धूप, रात में ओस, धान की फसल में बढ़ा झुलसा रोग का खतरा
समय के साथ अब धान की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है।

चंदौली, जागरण संवाददाता। धान का कटोरा कहा जाने वाला चंदौली जिला इन दिनों मौसम की मार से दो चार हो रहा है। पिछले कुछ दिनों से मौसम साफ है। सुबह से ही चटख धूप खिल रही। इससे धान की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। दिन में तापमान अधिक होने और रात के वक्त नमी और ओस फसल पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। ऐसे में किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है।

मौसम में परिवर्तन का असर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि फसलों पर भी पड़ रहा है। धान की फसल में झुलसा रोग का खतरा मंडरा रहा है। इसमें पत्तियों पर पहले भूरे रंग के धब्बे पड़ते हैं। कुछ दिनों के बाद पत्तियां सूखने लगती हैं और कुछ दिन के बाद पौधा भी सूख जाता है। इसका असर उत्पादन पर पड़ता है। खासतौर से सितंबर के अंत और अक्टूबर माह में झुलसा रोग का खतरा अधिक रहता है। इसलिए किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है। किसान फसल की सही ढंग से देखभाल करें। यदि धान में झुलसा रोग का लक्षण दिखाई दे तो कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर तत्काल दवा का छिड़काव कराएं। इससे रोग का असर खत्म हो जाएगा।

कृषि विभाग ने जारी किया है नंबर : कृषि विभाग ने किसानों की सहूलियत के लिए मोबाइल नंबर 9452247111 और 9452257111 सार्वजनिक किए हैं। किसान इन नंबरों पर रोग ग्रस्त फसल की फोटो खींचकर भेज सकते हैं। अथवा फसल में किस तरह की समस्या लिखकर भी डाल सकते हैं। कृषि विशेषज्ञ समय रहते उन्हें सही परामर्श देंगे। विभाग की पहल से किसानों को काफी सहूलियत होगी। उन्हें भागकर कृषि विशेषज्ञों के पास नहीं जाना होगा।

बोले कृषि विज्ञानी : ‘मौसम में बदलाव से धान की फसल में रोग का खतरा बढ़ गया है। इसलिए किसान पूरी सावधानी बरतें। पत्तियां सूखने पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर रोग रोधी व कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कराएं। -डाक्टर अभयदीप गौतम, विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र। 

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