सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की झोली में जाएंगी बनारस की दो सीटें, अजगरा व शिवपुर सीट पर सपा दावेदारी से खींचेगी हाथ

पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल करने के लिए सपा ने बड़ा दांव खेला है। छोटे-छोटे 10 दलों को जोड़ कर चल रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा से गठबंधन कर पूर्वांचल में ताकत बढ़ाने का समीकरण तैयार किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 12:27 PM (IST)
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की झोली में जाएंगी बनारस की दो सीटें, अजगरा व शिवपुर सीट पर सपा दावेदारी से खींचेगी हाथ
पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल करने के लिए सपा ने बड़ा दांव खेला है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल करने के लिए सपा ने बड़ा दांव खेला है। छोटे-छोटे 10 दलों को जोड़ कर चल रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा से गठबंधन कर पूर्वांचल में ताकत बढ़ाने का समीकरण तैयार किया है। इससे बनारस समेत आसपास के कई जिलों में सीटों पर दावेदारी का समीकरण भी बदल गया है।

बनारस की बात करें तो यहां की आठ विस सीटों पर सपा की दावेदारी छह पर ही रह जाएगी, जैसी संभावना जताई जा रही है। यह दो सीटें सुभासपा की झोली में जा सकती है। इसके संकेत अब से ही मिलने लगे हैं। इसमें अजगरा विस क्षेत्र पहले से ही सुभासपा के पास है जो अब भी उसी के पास रह सकती है। इसके अलावा राजभरों की अधिक संख्या वाले विस क्षेत्र शिवपुर पर भी उसकी दावेदारी मजबूत हुई है। गठबंधन के बाद सपा दोनों सीटों पर जीत पक्की मानकर चल रही है। ऐसे ही गाजीपुर, बलिया व मऊ जिले में भी सीटों के बंटवारे का समीकरण प्रभावित हो सकता है।

27 अक्टूबर को होगी तस्वीर साफ

भले ही सपा व सुभासपा के गठबंधन की बात उजागर हो गई है लेकिन अधिकृत तौर पर घोषणा होनी शेष है। इसकी तारीख 27 अक्टूबर तय की गई है। मऊ के हलधरपुर मैदान में एक बड़ी रैली होने जा रही है। इसका आयोजन संयुक्त भागीदारी मोर्चा कर रहा है। मुख्य अतिथि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रहेंगे। सभा में गठबंधन को लेकर अधिकृत तौर पर घोषणा की जाएगी।

बदले समीकरण में मायूसी भी

सुभासपा से गठबंधन के बाद बदले समीकरण में सपा के अंदर मायूसी भी देखने को मिल रही है। अजगरा विस सीट पर तो कम लेकिन शिवपुर विस सीट पर सपा के अंदर की कई मजबूत दावेदारी हो रही है। इसमें कई ऐसे सपाजन हैं जिन्होंने पांच साल से मेहनत की है। ऐसे में पार्टी के अंदर भीतरघात की आशंका भी बनी हुई है। हालांकि, पार्टी के थिंक टैंक मानते हैं कि भितरघात का फैक्टर उतना प्रभावी नहीं होगा क्योंकि ऐसे बागी मतों को उस फीसद तक प्रभावित नहीं कर सकेंगे जितना गठबंधन से सपा का जनाधार बढ़ रहा है।

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