Gazipur District में रसोइयोंं की बुलंद आवाज हैं समस्याओंं को ठोकर मारने वाली सुगांती

कर्तव्य के प्रति ईमानदारी व निष्ठा रखते हुए वह रसोइयों के अधिकारों के लिए आगे बढ़कर संघर्ष की कमान थामने के लिए जानी जाती हैं। महिला सशक्तिकरण को नया आयाम देने वाली सुगांती रसोइयों का उत्पीडऩ बर्दाश्त नहीं करतीं और उनके हित के लिए सड़क पर उतर जाती हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 09:34 AM (IST)
Gazipur District में रसोइयोंं की बुलंद आवाज हैं समस्याओंं को ठोकर मारने वाली सुगांती
रसोइयों के अधिकारों के लिए आगे बढ़कर संघर्ष की कमान थामने के लिए जानी जाती हैं।

गाजीपुर, जेएनएन। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को भोजन पका कर खिलाने वाली रसोइयों की समस्याओं को लेकर संघर्ष करने वालीं सुगांती कुशवाहा आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी व निष्ठा रखते हुए वह रसोइयों के अधिकारों के लिए आगे बढ़कर संघर्ष की कमान थामने के लिए जानी जाती हैं। महिला सशक्तिकरण को नया आयाम देने वाली सुगांती रसोइयों का उत्पीडऩ बर्दाश्त नहीं करतीं और उनके हित के लिए सड़क पर उतर जाती हैं। यहां तक कि विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने के चलते उन्हें अपना रसोइया का पद खोना पड़ा लेकिन ये मुश्किलें भी उनका हौसला नहीं तोड़ पाईं।

बाराचवर ब्लाक के सिउरी अमहट की रहने वाली सुगांती कुशवाहा गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में रसोइयां के पद पर वर्ष 2010 में नियुक्त हुईं थीं। कार्य शुरू करने के बाद सुगांती को आभास होने लगा कि रसोइयों के सामने काफी समस्याएं हैं जिन्हें कोई सुनने वाला नहीं है। अब उन्हें आगे आकर कुछ करना चाहिए लेकिन उनका सहयोग कौन करेगा। इसी उधेड़बुन के दौरान उन्हें पूर्व ब्लाक प्रमुख चंदा यादव का सहारा मिला। चंदा यादव के संघर्षों से प्रेरणा लेकर सुगांती ने रसोइयों की लड़ाई शुरू करने का फैसला लिया। उसके बाद विभिन्न क्षेत्रों की छह महिलाओं को साथ लेकर वर्ष 2011 में तहसील स्तरीय रसोइयां संघ की स्थापना की।

संघ की स्थापना के बाद ही सुगांती के नेतृत्व में रसोइयों का तहसील मुख्यालय पर घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन चलाया गया जो पांच दिनों तक रात दिन तक चलता रहा। आखिर में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को उनकी समस्याओं का समाधान करना पड़ा। इसके अलावा सुगांती दो बार हजारों की संख्या में महिला रसोइयों को साथ लेकर जिला मुख्यालय पर पांच दिन व सात दिन तक घेरा डालो डेरा डालो के तहत आंदोलन चलाती रहीं, जिसमें जिलास्तर के अधिकारियों ने पहुंचकर उनकी समस्याओं का समाधान कराया था। सुगांती ने बताया कि अब तक वह 90 बार धरना प्रदर्शन कर चुकी हैं।

प्रदेश स्तर पर भी पांच बार धरना-प्रदर्शन आयोजित कर चुकी हैं। सपा सरकार में धरना प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री तथा प्रमुख सचिव से वार्ता हुई। एक बार मुख्यमंत्री से भी मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत करा चुकी हैं। सुगांती कुशवाहा ने बताया कि इस संघर्ष में उन्हें खुद उत्पीडऩात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर उन्हें विद्यालय के रसोइया पद से हटा दिया गया, जिसको लेकर आज भी संघर्षरत हैं। इस कार्य में पति शिवमंगल कुशवाहा का जहां पूरा सहयोग मिलता है वहीं पूर्व ब्लाक प्रमुख चंदा का संघर्ष उन्हें प्रेरणा देता रहता है।

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