महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 21 दिसंबरको हो सकता छात्रसंघ चुनाव, संभावित प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुट गए
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रसंघ चुनाव को लेकर माहौल बनने लगा है। चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने वाले संभावित प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुट गए हैं। छात्र-छात्राओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए जोर लगाए हुए हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रसंघ चुनाव को लेकर माहौल बनने लगा है। चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने वाले संभावित प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुट गए हैं। छात्र-छात्राओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए जोर लगाए हुए हैं। वहीं छात्रसंघ चुनाव निष्पक्ष व शांतिपूर्ण कराने के लिए काशी विद्यापीठ प्रशासन ने भी कमर कस ली है तथा इसकी तैयारी की जा रही है। इस क्रम में एक चुनाव अधिकारी के अलावा 14 सहायक चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। हालांकि पूर्व में छात्रसंघ चुनाव पहले कराने की ही तैयारी थी। लेकिन वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम व विश्वनाथ कारिडोर के लोकार्पण को लेकर इसे आगे बढ़ा दिया गया है। इस संबंध में चुनाव अधिकारी प्रो. आरपी सिंह ने कहा कि 15 व 16 दिसंबर को छात्रसंघ सूचना को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है। जबकि 21 या 22 दिसंबर को छात्रसंघ का चुनाव कराया जा सकता है। छात्रसंघ में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री के अलावा कोषाध्यक्ष, संकाय प्रतिनिधि व लाइब्रेरी मंत्री के पद पर चुनाव कराया जाएगा। चुनाव अधिकारी ने कहा कि शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सभी आवश्यक तैयारी की जा रही है।
पंजीकृत स्नातक सदस्यों का पद एक दशक से रिक्त
सूबे के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में कोर्ट (सभा) का विधिवत गठन नहीं है। इस क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सभा के पंजीकृत स्नातक सदस्यों का पद एक दशक से रिक्त चल रहा है। इसके चलते दोनों विश्वविद्यालयों में 13 साल से एक भी बैठक नहीं हुई है। जबकि वर्ष में कम से कम एक बार अधिवेशन बुलाना अनिवार्य होता है। राज्य विश्वविद्यालयों में सभा एक सलाहकारी निकाय मानी जाती है। यह कार्यपरिषद की भांति महत्वपूर्ण समिति होती है। विश्वविद्यालय के नीति-निर्धारण में सभा की भूमिका अहम होती है। इसमें वार्षिक रिपोर्ट, वार्षिक लेखाओं तथा संपरीक्षा की रिपोर्ट पर मंथन होता है। इसके अलावा शिक्षण, शिक्षा और शोध की गुणवत्ता के संबंध में भी सभा कार्य परिषद को सुझाव देती है। कोर्ट के चार सदस्य कार्य परिषद में होते हैं जिसके कारण विश्वविद्यालय के अधिकारी अपनी मनमानी नहीं कर पाते हैं। सभा के गठन को लेकर विश्वविद्यालयों की उदासीनता को शासन ने इसे गंभीरता से लिया है। शासन सूबे के सभी विश्वविद्यालयों में सभा का विधिवत गठन करने का निर्देश दिया है।सदस्यता शुल्क 51 रुपये स्नातकोत्तर पास विश्वविद्यालय का कोई भी स्नातक 51 रुपये शुल्क जमा कर सभा में पंजीकृत स्नातक हो सकता है। हालांकि इसके लिए कार्यपरिषद का अनुमोदन जरूरी है। एकल संक्रमणीय मत से चुनाव पंजीकृत स्नातक ही सभा के सदस्यों के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। सभा के दस सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है। पंजीकृत स्नातक की मतदान करते हैं। पंजीकृत स्नातकों की सदस्यता तीन वर्षों के लिए होती है। वहीं सदस्यता की गणना प्रथम अधिवेशन के दिन से की जाती है। चार सदस्य कार्यपरिषद में निर्वाचित पंजीकृत स्नातकों में ही चार सदस्यों का चयन मतदान द्वारा कार्य परिषद के लिए होता है।