वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय हॉस्टल में छात्रों के बाइक रखने पर लगी रोक से रोष

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय हॉस्टल में छात्रों के बाइक रखने के रोक लगाने पर छात्र भड़क उठे। कहा कि इस विश्वविद्यालय में जितनी मनमानी चलती है शायद ही कहीं हो।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 14 Aug 2019 03:27 PM (IST) Updated:Thu, 15 Aug 2019 08:15 AM (IST)
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय हॉस्टल में छात्रों के बाइक रखने पर लगी रोक से रोष
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय हॉस्टल में छात्रों के बाइक रखने पर लगी रोक से रोष

जौनपुर, जेएनएन। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय हॉस्टल में छात्रों के बाइक रखने के रोक लगाने पर छात्र भड़क उठे। कहा कि इस विश्वविद्यालय में जितनी मनमानी चलती है शायद ही कहीं हो। आए दिन वार्डेन द्वारा तरह-तरह के फरमान जारी किए जाते हैं। जिसके चलते छात्रों को दिक्कत उठानी पड़ती है। हालांकि अभी छात्र हास्‍टल से घर गए हुए हैं मगर उनके सोमवार तक लौटने के बाद विरोध होने की आशंका जताई जा रही है। 

छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय में चीफ वार्डन डा.राजकुमार सोनी द्वारा आए दिन नए-नए फरमान से छात्रों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। कुछ माह पहले छात्रों को हॉस्टल में बर्थ डे मनाने और हीटर रखने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद काफी छात्रों ने मेस की फीस जमा करने के बाद भी सही भोजन ना मिलने की वजह से बाहर होटलों पर खाना शुरू कर दिया। कई बड़े त्योहारों पर अनहोनी की आशंका से बचने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा हॉस्टल खाली करा दिया जाता है।

यह कदम तब से उठाया गया जब एक छात्र की हॉस्टल में छात्रों द्वारा आयोजित एक निजी कार्यक्रम में मारपीट के दौरान एक छात्र की मौत हो गई थी। छात्रों का कहना है कि चीफ वार्डन ने सभी छात्रों को हॉस्टल में बाइक रखने पर रोक लगा दी है। जिसके चलते छात्रों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। छात्रों का कहना है कि जिस तरह का फरमान आए दिन पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया जाता है। इस तरह के कोई भी निर्णय अन्य विश्वविद्यालयों में नहीं लिए जाते हैं। छात्रों का कहना है कि प्रदेश का कोई ऐसा विश्वविद्यालय नहीं है जहां छात्रों के बाइक रखने पर रोक हो। इसलिए छात्र कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव से मांग करते हैं कि हॉस्टल में न रखने जैसे निर्णय को निरस्त किया जाए। नहीं तो मजबूरन छात्रों को दूसरा कदम उठाना पड़ेगा।

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