वाराणसी में कौतूहल का विषय बना अजीबोगरीब जानवर पैंगोलिन, वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगल में छोड़ा
रामनगर थाना क्षेत्र के गोलाघाट वार्ड के बघेली टोला में सोमवार की सुबह उस समय अफरातफरी का माहौल बन गया जब एक अजीबोगरीब जानवर दिखाई दिया। वह जानवर पैंगोलिन था।
वाराणसी, जेएनएन। रामनगर थाना क्षेत्र के गोलाघाट वार्ड के बघेली टोला में सोमवार की सुबह उस समय अफरातफरी का माहौल बन गया जब एक अजीबोगरीब जानवर दिखाई दिया ।पहली बार दिखे जानवर कौतूहल का विषय बना रहा। देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ इकट्ठी हो गई। भाजपा मंडल अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह ने वन विभाग को सूचना दी। मौके पहुंचे वन कर्मी राकेश कुमार ने जानवर को उस पकड़कर जंगल ले गए। वन विभाग के अधिकारियों की माने तो उक्त जानवर भारतीय पैंगोलिन था जो जंगल और पहाड़ों में रहता है, लेकिन अब विलुप्त के कगार पर है।
पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद है यह जानवर
एसडीओ वन विभाग धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यह भारतीय पैंगोलिन है जिसका वैज्ञानिक नाम मैनिस क्रैसिकाउडाटा है। यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होता हैं। पैंगोलिन की एक जीव वैज्ञानिक जाति है जो भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में कई मैदानी व हलके पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पैंगोलिन की आठ जातियों में से एक है। हर पैंगोलिन जाति की तरह यह भी समूह की बजाय अकेला रहना पसंद करता है।और नर व मादा केवल प्रजनन के लिए ही मिलते हैं।
शरीर पर शल्क होने से इसे ‘वज्रशल्क’ नाम से भी जाना जाता है
गहर-भूरे, पीले-भूरे अथवा रेतीले रंग का शुंडाकार यह निशाचर प्राणी लंबाई में लगभग दो मीटर तथा वजन में लगभग 35 किग्रा तक का होता है। चूंकि इसके शरीर पर शल्क होने से यह ‘वज्रशल्क’ नाम से भी जाना जाता है तथा कीड़े-मकोड़े खाने से इसको ‘चींटीखोर’ भी कहते हैं। अस्सी के दशक पूर्व पहाड़, मैदान, खेत-खलिहान, जंगल तथा गाँवों के आस-पास रहने वाला यह शल्की-चींटीखोर रेगिस्तानी इलाकों के अलावा देश के लगभग हर भौगोलिक क्षेत्रों में दिखाई पड़ता है। लेकिन अब इनकी संख्या बहुत कम होने से यह कभी-कभार ही देखने को मिलता है। दरअसल इस पैंगोलिन प्रजाति का अस्तित्व अब बेहद खतरे में है।