ऊर्जा की राजधानी गढ़ रही आदिवासी उत्थान की कहानी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का सोनभद्र से है गहरा नाता
चार राज्यों की सीमा से लगा क्षेत्रफल के लिहाज से उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला और देश की ऊर्जा राजधानी सोनभद्र में बीते कुछ सालों से मुख्यधारा से अलग-थलग पड़े आदिवासियों के विकास की गढ़ी जा रही कहानी हैरान करती है।
सोनभद्र [सतीश सिंह]। चार राज्यों की सीमा से लगा, क्षेत्रफल के लिहाज से उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला और देश की ऊर्जा राजधानी सोनभद्र में बीते कुछ सालों से मुख्यधारा से अलग-थलग पड़े आदिवासियों के विकास की गढ़ी जा रही कहानी हैरान करती है। इसका माध्यम बना हुआ है, सेवा समर्पण संस्थान का 'सेवा कुंज आश्रम। इस आश्रम से देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद का पुराना नाता है। इस आश्रम में वह पहले भी दो बार आ चुके हैं। राष्ट्रपति के रूप में आगामी 14 मार्च को उनका पहली बार आगमन होने जा रहा है। इसे लेकर आश्रम में उत्साह का वातावरण है।
ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित जिले के घनघोर आदिवासी इलाके बभनी में नक्सली गतिविधियों का बोलबाला था। जंगली इलाका, संसाधनों का टोटा और मुख्य मार्गों तक पहुंचने के लिए मीलों पैदल सफर तय करने की मजबूरी ने इसे मुख्यधारा से अलग-थलग कर रखा था। इन हालात में यहां के बच्चे इंजीनियर और कुशल पेशेवर बने तो सुखद आश्चर्य होना स्वाभाविक है। इन आदिवासी बच्चों को इस मुकाम तक पहुंचाने में दो दशक से आश्रम जुटा हुआ है।
आश्रम वनवासियों को जागरूक कर उनके बच्चों को शिक्षा, कौशल विकास और संस्कार दे रहा है। करीब 40 एकड़ में फैले आश्रम में 500 बच्चों के रहने की क्षमता है। अभी 250 बच्चे यहां रहकर शिक्षा ले रहे हैं।
दी जा रही तीरदांजी से लगायत कंप्यूटर शिक्षा तक : अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से संचालित सेवा समर्पण संस्थान के बभनी सेवाकुंज आश्रम में तीरदांजी से लगायत कंप्यूटर शिक्षा तक हर वह व्यवस्था और सुविधा देने का प्रयास किया गया है जो आदिवासियों के बच्चों के मन व जीवन को विकास की दौड़ में रफ्तार भरने के काबिल बना सके। जिले के सभी ब्लाक, यहां तक कि पड़ोसी राज्यों के वनवासी बच्चे भी यहां छात्रावास में रहकर मुफ्त शिक्षा ग्रहण करते हैं।
महामहिम ने ही किया था छात्रावास का लोकार्पण, शिवमंदिर का शिलान्यास
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का सेवा कुंज आश्रम से पुराना नाता है। 19 सितंबर 2001 को उन्होंने ही यहां के छात्रावास का लोकार्पण किया था। तब वह राज्यसभा सदस्य थे और छात्रावास के लिए आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई थी। इसके बाद कोविंद 2014 में यहां आए थे। उन्होंने आश्रम परिसर में शिवमंदिर का शिलान्यास किया था। अब 14 मार्च को देश के राष्ट्रपति के रूप में आ रहे हैं तो आश्रम से जुड़े लोग और स्थानीय निवासी बेहद उत्साहित हैैं। पुरानी चुनौतियों को भुलाकर राष्ट्र व समाज को अपना सर्वश्रेष्ठ देने को आतुर हैं।
13 जिलों में चल रहा अभियान : आदिवासी-वनवासी समाज के सर्वांगीण विकास के लिए यह अभियान प्रदेश के 13 जिलों में चल रहा है। इसमें सोनभद्र, मीरजापुर, प्रयागराज, चंदौली, चित्रकूट, ललितपुर, बांदा, झांसी, महराजगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती, लखीमपुर और बहराइच शामिल हैैं। सेवा समर्पण संस्थान के प्रांत सह संगठन मंत्री आनंद ने बताया कि इन जिलों में इस समाज की संख्या की बहुलता है। मुसहर, घसिया, उराव, पोल व कोरवा जातियों के उत्थान के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है।