आत्मनिर्भरता की कहानी : कोरोना काल की मुसीबत से नहीं मानी हार, झोला प्रिंटिंग कार्य को बनाया सहारा

कोरोना संक्रमण के दौरान दिल्ली की एक कंपनी में तैनात मऊ के अतुल राय की नौकरी छूट गई थी। उन्होंने घर लौटकर झोला प्रिंटिंग का कार्य शुरू किया और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने यह कार्य प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत बैंक से ऋण लेकर शुरू किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 08:50 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 10:42 AM (IST)
आत्मनिर्भरता की कहानी : कोरोना काल की मुसीबत से नहीं मानी हार, झोला प्रिंटिंग कार्य को बनाया सहारा
मऊ के कोपागंज ब्लाक के देवकली विशुनपुर में झोला सिलतीं महिलाएं।

मऊ [जयप्रकाश निषाद]। कोरोना संक्रमण के दौरान दिल्ली की एक कंपनी में तैनात अतुल राय की नौकरी छूट गई थी। उन्होंने घर लौटकर झोला प्रिंटिंग का कार्य शुरू किया और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने यह कार्य प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत बैंक से ऋण लेकर शुरू किया। उनकी कामयाबी से आसपास के लोग प्रेरित हो रहे हैं।

कोपागंज के देवकली विशुनपुर निवासी अतुल राय परिवार के साथ दिल्ली में रहते थे। वहां वे बीमा कंपनी में ऑडिटर-पद पर तैनात थे। इस बीच पिछले साल जब कोरोना काल में दिल्ली में हाहाकार मचा तो नौकरी छूटने पर उन्हें जूून माह में सपरिवार घर लौट आना पड़ा। अब उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट था। वे अपने मित्र आलोक राय से मिले। आलोक ने ग्वालियर में सेना की नौकरी से मार्च माह में वीआरएस ले लिया था और घर लौट आए थे। दोनों रोजगार को लेकर परेशान थे। उन्होंने काफी भागदौड़ की लेकिन कोई काम दिख नहीं रहा था।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम आया काम : दोनों ने इस बीच पीएम द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी करनी शुरू की। उन्हें गूगल पर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने झोला प्रिंटिंग का कार्य करने का निर्णय लिया। इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया। उन्हें एचडीएफसी बैंक की कोपागंज शाखा से 10 लाख का ऋण मिल गया।

इसके बाद उन्होंने फरीदाबाद के बल्लभगढ़ से मंगाकर 26 नवंबर को मशीन लगा ली। दोनों ने कुछ गरीब महिलाओं से संपर्क साधा। काम करने को महिलाएं तैयार हो गईं। उन्हें घर पर ही रहकर काम करने का रोजगार मिल गया। 20 महिलाएं प्रतिदिन एक हजार झोले तैयार करने लगीं। इसके एवज में उन्हेंं 200-200 रुपये प्रतिदिन मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि रॉ-मैटेरियल गोरखपुर व वाराणसी से मंगाया जाता है।

अतुल ने बताया कि उक्त योजना के तहत प्राप्त ऋण पर उन्हें 10 फीसद ब्याज देना पड़ रहा है। सामान्य वर्ग का लाभार्थी होने की नाते उन्हें 25 फीसद सब्सिडी का लाभ भी मिल रहा है। वे अपनी बीस हजार रुपये की किस्त नियमित प्रतिमाह जमा कर रहे हैं। अब तक वह तीन किस्त जमा कर चुके हैं।

घर बैठे किया जाने वाला काम पाकर महिलाएं खुश : घर पर बैठ कर किया जाने वाला काम पाकर गरीब महिलाएं काफी खुश हैं। सुमन, पिंकी, सविता, जानकी, पूजा, शकुंतला, अर्चना, रेखा, निधि, कुमकुम, श्रेया, प्रेमा कुमारी व ज्योति का कहना है कि इस कार्य से प्रतिदिन 200 रुपये आसानी से कमा कर उन्हें संतोष है। चूंकि काम अभी नया है, इसलिए वे 200 रुपये ही कमा रही हैं, आगे वह अपने हुनर से 400 से 500 रुपये तक भी प्रतिदिन कमा सकती हैं।

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