रेमडेसिविर से ज्यादा जरूरी सही समय पर स्टेरायड की, संक्रमण के बाद शुरुआती लक्षणों की अनदेखी से बिगड़ रहे हालात
रेमडेसिविर माइल्ड एंटी वायरल मेडिसिन है। बहुत जरूरी समझने पर कम आक्सीजन लेवल वाले मरीजों को चिकित्सक यह देते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवंबर 2020 में अपनी संशोधित गाइडलाइन से इसे बाहर कर दिया था।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच संक्रमित मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आम है। अस्पतालों में बेड के लिए लंबी लाइन लगी है। इस बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन का ऐसा हव्वा उठा कि हर कोई इसे पाने और इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। बिना समझे-बूझे इसकी बेतहाशा मांग का फायदा उठाकर कालाबाजारी भी खूब हो रही है। इसके लिए 15 से 20 हजार ही नहीं इससे भी अधिक कीमत चुकाने को लोग तैयार हो रहे हैं। मगर ध्यान देने वाली बात ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवंबर 2020 में अपनी संशोधित गाइडलाइन से इसे बाहर कर दिया था। कहने का आशय यह कि प्लाज्मा थेरेपी की तरह रेमडेसिविर की भी उपयोगिता नहीं रही।
दरअसल, रेमडेसिविर माइल्ड एंटी वायरल मेडिसिन है। बहुत जरूरी समझने पर कम आक्सीजन लेवल वाले मरीजों को चिकित्सक यह देते हैं। वरिष्ठ टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. एसके अग्रवाल बताते हैं कि इसका छह इंजेक्शन का ही कोर्स है लेकिन कई लोग पता नहीं कैसे 10-10 इंजेक्शन तक अपने मरीजों को लगवा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रायल किया था, कोविड मरीजों के एक ग्रुप को रेमडेसिविर दिया गया दूसरे को नहीं। 28 दिन बाद दोनों ही ग्रुप में मृत्युदर एक जैसी रही। यानी रेमडेसिविर न तो मृत्युदर कम करता है और न ही किसी तरह का फायदा ही पहुंचाता है। डा. अग्रवाल बताते हैं कि यह नई दवा नहीं है। रेमडेसिविर का सबसे पहले हेपेटाइटिस-सी के लिए उपयोग किया गया था। इसके बाद इबोला और अब यह कोरोना में इस्तेमाल हो रहा है।
शुरू में ही पहचानें लक्षण
कोरोना संक्रमण का लक्षण शुरू में ही पहचान लेना श्रेयस्कर है। शुरू में लोग इसे टायफाइड या वायरल बुखार समझने की गलती कर बैठते हैं। लक्षण के चौथे-पांचवें दिन सांस फूलने लगती है। ऐसे मामले में पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन का स्तर मापते रहें। आक्सीजन का स्तर 94 से कम हो तो अलर्ट हो जाएं। नजदीकी अस्पताल से या कोविड कमांड सेंटर से अस्पताल में भर्ती होने के लिए संपर्क करें।
सही समय पर स्टेरायड है रामबाण
आक्सीजन स्तर कम रहने पर मरीज को तीन से पांच लीटर आक्सीजन प्रति मिनट दिया जाता है। सही समय पर उचित मात्रा में डेक्सामेथासोन या अन्य स्टेरायड देने से मरीज को लाभ मिलता है। अमूमन लक्षण के आठवें दिन के बाद ही मरीज के स्वास्थ्य को देखते हुए डाक्टर स्टेरायड देते हैं। इससे पहले देने पर यह खतरनाक साबित हो सकता है।
लिवर को डैमेज करता है रेमडेसिविर
- रेमडेसिविर लिवर को तेजी से कमजोर करता है, जिससे मरीज को पीलिया हो जाता है। उल्टी होने लगती है और भूख भी नहीं लगती। यानी कोरोना से पहले गंभीर मरीज की पीलिया से मौत हो सकती है।