वाराणसी में महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा उपेक्षा की शिकार, छतरी हुई गायब

गरीबों के दर्द को अपनी कलम से आवाज देने वाले महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा वाराणसी में उपेक्षा की शिकार हो गई है। प्रतिमा के ठीक सामने गंदा पानी गिर रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 10:23 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 01:14 PM (IST)
वाराणसी में महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा उपेक्षा की शिकार, छतरी हुई गायब
वाराणसी में महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा उपेक्षा की शिकार, छतरी हुई गायब

वाराणसी, [सौरभ चंद्र पांडेय]। गरीबों के दर्द को अपनी कलम से आवाज देने वाले महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा से छतरी गायब हो गई है। बारिश के मौसम में प्रतिमा के ठीक सामने पांडेयपुर फ्लाईओवर से नाली का गंदा पानी गिर रहा है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। अफसरों की लापरवाही से प्रतिमा का यह हाल है। बात हो रही है पांडेयपुर चौराहे पर स्थापित मुंशी जी की प्रतिमा की। जो फ्लाईओवर निर्माण के बाद हटा ली गई थी। विरोध होने पर दोबारा स्थापित तो की गई, मगर छतरी गायब हो गई। अब इंतजार है कि कोई संवेदनशील अफसर बारिश और गंदे पानी के छींटे से बचाए या वापस उनके गांव लमही पहुंचा दे।

धूप व बरसात से बचाती थी लोहे की नीली छतरी

पूर्व में पांडेयपुर चौराहे पर मुंशी जी की प्रतिमा पर लोहे की नीली छतरी लगी थी। जो उन्हें धूप व बरसात से बचाती थी। यातायात के बढ़ते दबाव को देखते हुए शासन ने फ्लाईओवर का निर्माण करवाना शुरू किया तो प्रतिमा हटा ली गई। उसके बाद चौराहे के सुंदरीकरण के लिए एक निजी कंपनी ने जिम्मा उठाया। सुंदरीकरण के पश्चात लमही से लाकर पुन: प्रतिमा स्थापित की, लेकिन छतरी नहीं लगी।

अधिकारी प्रतिदिन चौराहे से गुजरते हैैं, लेकिन नजर नहीं पड़ती

अब हाल है कि प्रतिमा पर फ्लाईओवर की नाली और बरसाती पानी के छींटे गिर रहे हैैं। यदि फ्लाईओवर और बरसात के पानी की निकासी को पाइप की व्यवस्था रहती तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता। यही नहीं, जिले के कई बड़े अधिकारी प्रतिदिन चौराहे से गुजरते हैैं, लेकिन उनकी निगाहें यहां नहीं पहुंचतीं। आज से ठीक 20 दिन बाद मुंशीजी की जयंती है। उस दिन सब स्मरण करेंगे, पर छतरी की याद किसी को न आएगी।

छतरी की जगह लगा दिया शेड

पांडेयपुर चौराहे पर मुंशी प्रमचंद की प्रतिमा के ऊपर छतरी की जगह एक निजी कंपनी ने तत्कालीन जिलाधिकारी की अनुमति से प्लास्टिक का शेड लगवा दिया, लेकिन फ्लाईओवर की ज्वाइंट में दरार होने से प्रतिमा पर गंदा पानी का छींटा गिरता है। यह शेड इसको रोकने में असमर्थ है। यदि दरार को बंद कर जल निकासी की समुचित व्यवस्था कर दी जाए तो इस गंदे पानी से मुंशी की प्रतिमा को निजात मिल सकती है।

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