विरोधियों को फंसाने के लिए अपने ही मजदूरों पर चलवाई गोली, एसएसपी की विवेचना से सच उजागर

मुख्तार अंसारी और उसका गिरोह किसी भी हद तक जा सकता है इसका जीता-जागता उदाहरण है आजमगढ़ का तरवां हत्याकांड जिसमें अपने ही निरीह मजदूरों पर गोली चलवा कर मुख्तार गैंग के लोगों ने एक मजदूर को मौत के घाट उतार दिया और दूसरा घायल हो गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 11:33 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 11:33 AM (IST)
विरोधियों को फंसाने के लिए अपने ही मजदूरों पर चलवाई गोली, एसएसपी की विवेचना से सच उजागर
मुख्तार अंसारी और उसका गिरोह नीचता की किस हद तक जा सकता है।

वाराणसी, शैलेश अस्थाना। अपने विरोधियों को फंसाने के लिए मुख्तार अंसारी और उसका गिरोह किसी भी हद तक जा सकता है, इसका जीता-जागता उदाहरण है आजमगढ़ का तरवां हत्याकांड, जिसमें अपने ही निरीह मजदूरों पर गोली चलवा कर मुख्तार गैंग के लोगों ने एक मजदूर को मौत के घाट उतार दिया और दूसरा घायल हो गया। इस मामले में उन्होंने मऊ में हुए मन्ना सिंह हत्याकांड के वादी हरेंद्र सिंह और रामचंद्र मौर्य हत्याकांड के वादी अशोक सिंह को नामजद फंसाया, किंतु जब तत्कालीन एसएसपी आजमगढ़ अनंतदेव तिवारी ने सर्विलांस की मदद से विवेचना की तो सच सामने आ गया। मुख्तार और उसकी गैंग के लोग ही साजिश रचने और हत्या करने में फंसते नजर आए। नाराज सरकार ने एसएसपी को स्थानांतरित कर दिया और विवेचना बलिया भेज दी, वहां भी वही बात सामने आई।

मुख्तार अंसारी गिरोह के शूटर व ठेकेदार राजेश सिंह उर्फ राजन सिंह व उसके भाई उमेश सिंह तरवां में एक सड़क का निर्माण करवा रहे थे। 06 अक्टूबर 2014 की देर शाम काम बंद होने के बाद बैठे मजदूरों के ऊपर अचानक बाइक सवारों ने फायरिंग झोंक दी, उनमें से बिहार राज्य निवासी एक निर्दोष मजदूर की मौत हो गई, जबकि दूसरा घायल हो गया। इस घटना में राजन सिंह ने मन्ना सिंह दोहरे हत्याकांड के वादी हरेंद्र सिंह व रामचंद्र मौर्य दोहरे हत्याकांड के वादी अशोक सिंह के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई कि मैं अपने मजदूरों के साथ बैठकर हिसाब-किताब कर रहा था कि पल्सर मोटर साइकिल से वे दोनों लोग आए। बाइक हरेंद्र सिंह चला रहे थे और पीछे बैठे अशोक सिंह ने पिस्टल से मेरी हत्या करने की नीयत से मुझ पर फायर झोंक दिया, मैं तो उन्हें पहचान कर पीछे हट गया किंतु बेकसूर मजदूर मारा गया और एक घायल हो गया। इस घटना की विवेचना जब तत्कालीन एसएसपी आजमगढ़ अनंतदेव तिवारी ने शुरू की तो सर्विलांस से अशोक सिंह व हरेंद्र सिंह के मोबाइल नंबर ट्रेस किए, साथ ही उन दोनों की सुरक्षा में लगे सरकारी गनर सिपाहियाें के नंबर ट्रेस किए गए। उन सबकी लोकेशन घटना के समय उनके घर पर मिली। जबकि वादी मुकदमा राजन सिंह की लोेकेशन भी घटनास्थल से 40 किमी दूर मिली, जबकि उसका दावा था कि वह घटनास्थल पर मौजूद था। एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने इस मामले में मुख्तार अंसारी, उमेश सिंह, राजन सिंह, श्यामबाबू पासी समेत 11 के विरुद्ध हत्या व हत्या के षड्यंत्र का मुकदमा दर्ज कराया। 

मुख्तार पर हाथ डालने से सपा सरकार हुई नाराज, एसएसपी व विवेचना स्थानांतरित

 मुख्तार अंसारी पर हाथ डालने वाले डीएसपी शैलेंद्र सिंह के साथ तत्कालीन सपा सरकार ने क्या किया था, सभी को मालूम है। तरवां हत्याकांड में भी निष्पक्ष जांच के बाद मुख्तार और उसके गिरोह के लोगों के फंसने पर सपा सरकार नाराज हो गई। इसका खामियाजा तत्कालीन एसएसपी आजमगढ़ अनंतदेव तिवारी को भुगतना पड़ा, उनका स्थानांतरण कर दिया गया। साथ ही सरकार ने विवेचना को भी बलिया जनपद स्थानांतरित कर दिया। किंतु बलिया के अधिकारी द्वारा भी विवेचना में वही सत्य सामने आए, जो एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने उद्घाटित किए थे।

इस मामले में 22 को है मुख्तार की पेशी

तरवां हत्याकांड के मामले में न्यायालय ने 22 अप्रैल को मुख्तार अंसारी को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। इस मामलें राजन सिंह जमानत पर बाहर है जबकि उमेश सिंह जेल में। साथ ही मुख्तार के गैंग के पांच और शूटरों बुलंदशहर जेल से श्यामबाबू पासी, गाजीपुर जेल से राजन पासी, आजमगढ़ जेल से राजेंद्र पासी, उमेश सिंह व अभिषेक मिश्रा भी रिमांड पर पेश होंगे।

chat bot
आपका साथी