एसपीवी गठित, फरवरी से वाराणसी के शाहंशाहपुर में बायो सीएनजी का शुरू हो जाएगा उत्पादन

शाहंशाहपुर में बायो गैस प्लांट संचालन के लिए एक कदम और बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकर्पण के बाद संचालन के लिए एसपीवी यानी स्पेशल परपज वैहिकिल का गठन हो गया है। गोबरधन वाराणसी फाउंडेशन ने तकनीकी विशेषज्ञों को एसपीवी में शामिल किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:50 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 09:22 AM (IST)
एसपीवी गठित, फरवरी से वाराणसी के शाहंशाहपुर में बायो सीएनजी का शुरू हो जाएगा उत्पादन
शाहंशाहपुर में बायो गैस प्लांट संचालन के लिए एक कदम और बढ़ गया है।

वाराणसी, रवि पांडेय। शाहंशाहपुर में बायो गैस प्लांट संचालन के लिए एक कदम और बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोकर्पण के बाद संचालन के लिए एसपीवी यानी स्पेशल परपज वैहिकिल का गठन हो गया है। गोबरधन वाराणसी फाउंडेशन ने तकनीकी विशेषज्ञों को एसपीवी में शामिल किया है। तैयारी के सापेक्ष फरवरी 2022 से बायो सीएनजी का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

इसके साथ ही जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया भी शुरू होगी जो दिसंबर 2022 से किसानों को खरीदने के लिए उपलब्ध रहेगा। एसपीवी गठन के साथ ही अब प्रेसमड (गन्ने के रस का मैल), गोबर आदि की खरीद हो सकेगी। एसपीवी ही खरीदारी के लिए जरूरी अवयव का रेट भी तय करेगी। अब तक गोबर भी पर्याप्त मात्रा में नहीं आ पाया है। प्लांट के लिए नगर निगम की तरफ से दो डायरेक्टर की नियुक्ति की जा चुकी है। उत्पादन के अलावा यहां शेष कार्य प्रगति पर है।

क्या है एसपीवी

एसपीवी एक तरह से लिमिटेड कंपनी के रूप में काम करेगी। इसका गठन केंद्र सरकार की निगरानी में होता है। इसमें राज्य सरकार और स्थानीय निकाय सरकार या फिर स्मार्ट सिटी कंपनी की हिस्सेदारी भी होगी। प्लांट संचालन की पूरी जिम्मेदारी एसपीवी पर ही होगी।

शुरुआत में चाहिए चार लाख किलो गोबर

बायो सीएनजी गैस के उत्पादन के लिए शुरुआत में चार लाख किलो गोबर की जरूरत पड़ेगी। अब तक आसपास के किसानों द्वारा मात्र एक लाख किलो गोबर मिल पाया है। कान्हा उपवन और नगर निगम से संचालित गोशाला से बाकी के गोबर की आपूर्ति की जाएगी।

जैविक खाद से बंजर जमीन भी होगी उपजाऊ

नगर निगम तथा अदाणी ग्रुप व प्राइड कंपनी की तरफ से संचालित होने वाले प्लांट के अधिकारियों ने बताया कि बायो गैस प्लांट से किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बड़ी पहल है। जैविक ठोस और तरल खाद की मदद से खेती के लिए गांव की परती और बंजर जमीन में घास उग जाएगी। इसे गाय को चारे के लिए भी प्रयोग किया जाएगा।

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