बीएचयू में ड्राेन से फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव, किसान की लागत कम करने के उपायों पर हो रहा परीक्षण
खेती में किसानों की लागत कैसे कम हो और भरपूर उत्पाद भी मिले साथ ही उनकी आय दोगुनी हो सके इसके लिए सरकार से लगायत वैज्ञानिक तक प्रयासरत हैं। इस प्रयास में प्रयोगों का दौर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान में भी जारी है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। खेती में किसानों की लागत कैसे कम हो और भरपूर उत्पाद भी मिले, साथ ही उनकी आय दोगुनी हो सके, इसके लिए सरकार से लगायत वैज्ञानिक तक प्रयासरत हैं। इस प्रयास में प्रयोगों का दौर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान में भी जारी है। शनिवार को इसी क्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों ने फसलों पर ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों के छिड़काव से होने वाली समय, श्रम और लागत की बचत का अध्ययन शुरू किया। अध्ययन के पश्चात गणना कर निष्कर्ष निकाले जाएंगे।
संस्थान के वैज्ञानिक डा. आरएस मीना ने बताया कि प्रयोग के तहत मिर्च और धान की फसल पर ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव किया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि किसान द्वारा परंपरागत रूप से फसल पर लगने वाले कीटों को मारने के लिए हाथ से दवा का छिड़काव किया जाता है। इससे कीटनाशक की ज्यादा मात्रा का अपव्यय होता है। साथ ही किसान के श्रम, समय और धन का अपव्यय होता है। जबकि ड्रोन से छिड़काव होने पर कीटनाशक की कम मात्रा में ही अधिक प्रक्षेत्र को आच्छादित किया जा सकता है। साथ ही महज आधे घंटे में एक एकड़ खेत में कीटनाशक की एक समान मात्रा का छिड़काव संभव है। उन्होंने बताया कि अब इस प्रयोग के माध्यम से यह अध्ययन करने का वैज्ञानिक प्रयास हो रहा है कि इस प्रयोग से परंपरागत रूप से छिड़काव की तुलना में कीटनाशकों की कितनी मात्रा की बचत की जा सकती है तथा यह विधि कीटों को नष्ट करने में कितना प्रभावी साबित होती है। इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो. रमेश चंद्र, संकाय प्रमुख प्रो. जेएस बोहरा, प्रो. सीपी श्रीवास्तव, प्रो. पीके सिंह, एके नेमा आदि थे।