बिना चीर -फाड़ होगी ध्वनि यंत्र कैंसर की सर्जरी, एचबीसीएच एवं एमपीएमएमसीसी में प्रारंभ हुई सुविधा

आधुनिक और नई सुविधाओं की शुरुआत हो रही है। इसके तहत अस्पताल में ध्वनी यंत्र (वोकल कॉर्ड) की माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी की सुविधा मरीजों के लिए शुरू की गई है। अब तक इस तकनीक से सफलतापूर्वक 20 से अधिक कैंसर मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 12:03 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 12:03 PM (IST)
बिना चीर -फाड़ होगी ध्वनि यंत्र कैंसर की सर्जरी, एचबीसीएच एवं एमपीएमएमसीसी में प्रारंभ हुई सुविधा
चिकित्‍सा के लिए आधुनिक और नई सुविधाओं की शुरुआत हो रही है।

वाराणसी, जेएनएन। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (एमपीएमएमसीसी) एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एचबीसीएच) में कैंसर मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए आधुनिक और नई सुविधाओं की शुरुआत हो रही है। इसके तहत अस्पताल में ध्वनी यंत्र (वोकल कॉर्ड) की माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी की सुविधा मरीजों के लिए शुरू की गई है। अब तक इस तकनीक से सफलतापूर्वक 20 से अधिक कैंसर मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है।

माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी का इस्तेमाल ध्वनी यंत्र के कैंसर, ल्युकोप्लेकिया, पोलिप कैंसर और मुंह के शुरुआती कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। इस सर्जरी को करने में जहां कम समय लगता है, वहीं चेहरे पर कहीं भी सर्जरी (कट) के निशान भी नहीं आते। अस्पताल में अब तक इस विधि से की गई ज्यादातर सर्जरी ध्वनी यंत्र से संबंधित रही। एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच के सिर और गले के कैंसर विभाग के प्रभारी डॉ. असीम मिश्रा ने कहा कि माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी के जरिए ध्वनी यंत्र के कैंसर का इलाज करने वाला एमपीएमएमसीसी राज्य का पहला ऐसा अस्पताल है। इससे पहले यह सर्जरी पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं भी उपलब्ध नहीं थी।

20 से ज्यादा रोगियों की सफल सर्जरी : इस विधि से 20 से अधिक कैंसर मरीजों की सर्जरी हो चुकी है। माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए मरीज को ओपन सर्जरी से नहीं गुजरना पड़ता और सर्जरी के कुछ घंटे बाद ही अस्पताल से मरीज को छुट्टी मिल जाती है। साथ ही इस सर्जरी में लगने वाला समय भी इतना कम होता है कि एक बार में ही बैठकर पूरी सर्जरी की जा सकती है। अगर मरीज शुरुआती चरण पर इलाज के लिए हमारे पास आते हैं, तो इस कैंसर में सक्सेज रेट 90-95 प्रतिशत तक है। ध्वनी यंत्र के कैंसर के शुरुआती लक्षण आवाज में कर्कशता या आवाज का फटापन हो सकता है। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिल लेना बेहतर होगा। साथ ही हम ईएनटी विशेषज्ञों से भी अपील करते हैं कि अगर किसी मरीज में उन्हें इस तरह के लक्षण दिखें तो मरीज को कैंसर की जांच कराने के प्रति जागरूक करें और सही समय पर उचित इलाज के लिए प्रेरित करें। इससे बीमारी को शुरुआती स्तर पर रोक पाना संभव हो सकेगा।

बोले अधिकारी : ध्वनी यंत्र का कैंसर सिर और गले के कैंसर के तहत आता है और 90 प्रतिशत तक सिर और गले के कैंसर के लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन जिम्मेदार है। इसलिए बीमारी से बचने के लिए तंबाकू उत्पादों के सेवन से बचना चाहिए। - डा. दुर्गातोष पांडेय, उपनिदेशक। 

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