मिट्टी के बर्तन लगाएंगे 'सोंधेपन' का तड़का, मिट्टी के तवा के बाद अब कुकर-कड़ाही ग्राहकों को लुभाएंगे

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मिट्टी के बर्तनों समेत अन्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिशों का असर धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में दिखने लगा है। पारंपरिक की जगह इलेक्ट्रिक चाक ने ली है। कुम्हार कंप्यूटर पर डिजाइन देखकर उत्पाद तैयार करने लगे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:20 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:20 PM (IST)
मिट्टी के बर्तन लगाएंगे 'सोंधेपन' का तड़का, मिट्टी के तवा के बाद अब कुकर-कड़ाही ग्राहकों को लुभाएंगे
कुम्हार कंप्यूटर पर डिजाइन देखकर उत्पाद तैयार करने लगे हैं।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मिट्टी के बर्तनों समेत अन्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिशों का असर धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में दिखने लगा है। पारंपरिक की जगह इलेक्ट्रिक चाक ने ली है। कुम्हार कंप्यूटर पर डिजाइन देखकर उत्पाद तैयार करने लगे हैं। इस पर कम समय में अधिक और आकर्षक मिट्टी के बर्तन बनाए जा रहे हैं। अब तो मिट्टी के तवा के अतिरिक्त कुकर बनाने की तैयारी ग्रामीण कुम्हार कर रहे हैं। इससे उनकी आय में भी करीब पांच गुना तक बढ़ोतरी हुई है।

काशी विद्यापीठ ब्लाक के हरपालपुर गांव निवासी श्रीकिशुन प्रजापति और सेवापुरी के बिहारी लाल प्रजापति बताते हैं कि ऐसे बर्तनों की मांग जैसे-जैसे बढ़ेगी, उसका उत्पादन बढ़ेगा। कुकर समेत अन्य बर्तनों के लिए खुर्जा से डाई (सांचा) मंगाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके मिलते ही कुकर और अन्य बर्तनों का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।

प्रेशर कुकर में बजेगी सीटी, मिलेगा सोंधेपन का स्वाद : बिहारी लाल प्रजापति बताते हैं कि सेंट्रल ग्लास एंड सिरेमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट खुर्जा केंद्र में प्रेशर कुकर और अन्य विशेष बर्तनों को बनाने का गुर सीखा। उन्होंने बताया कि कुकर बनाने के लिए स्थानीय मिट्टी समेत अन्य पदार्थों की अलग-अलग मात्रा होगी। इसके साथ कई प्रकार के पाउडर मिलाए जाते हैं। इससे कुकर की मजबूती बढ़ेगी। सभी को मिलाकर पांच घंटे तक गूंथा जाएगा। उसके बाद आकार देकर इसे आग में पकाया जाएगा। बताया कि इस कुकर में प्रचलित आधुनिक प्रेशर कुकर की तरह ही दाल, चावल व सब्जियां पकाई जा सकेंगी। खूबी यह होगी कि इसमें पकाए खाने में आपको मिट्टïी के सोंधेपन का स्वाद भी मिलेगा। हालांकि इसकी कीमत के बारे में बिहारी लाल का कहना है कि उत्पादन

शुरू होने पर ही मूुल्य निर्धारित होगा।

विशेष जगहों पर ही खास बर्तनों की मांग : बिहारी लाल के मुताबिक अभी लोगों को इस तरह के मिट्टïी के बर्तनों के बारे में जानकारी कम है, इसलिए अभी ऐसे बर्तनों की मांग बहुत कम है। अभी बाजार में भी कुछ दुकानों में ही मिट्टïी का तवा उपलब्ध है। इसकी कीमत 70 से 150 रुपये तक है। प्रयोग के तौर पर ही मिट्टïी की कड़ाही भी बनाने की तैयारी है। इसके अलावा पानी की बोतल, प्लेट, गिलास और रसोई में प्रयोग होने वाले लगभग 15 प्रकार के बर्तन बनाए जा रहे हैं। खास बर्तनों की मांग विशेष मौके पर की जाती है।

बोले अधिकारी : जिले में कुम्हारों को समृद्ध करने के लिए 4,500 चाक दिए गए हैं। ये लोग मिट्टी के लगभग 250 प्रकार के सामान बना रहे हैं। आकर्षक और उपयोगी बर्तन बनाने के लिए आयोग की ओर से इस वर्ष 10 कुम्हारों को विशेष प्रशिक्षण के लिए खुर्जा, वर्धा, इटारसी व भद्रावती भेजा गया था। - डा. डीएस भाटी, निदेशक, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग।

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