सोनभद्र की सीता के गुल्‍लक से निकली राम के प्रति आस्‍था, ढाई घंटे तक चली दान की गिनती

अब जब श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग साफ हुआ तो सीता देवी के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। रविवार को जब मंदिर निर्माण के लिए धन एकत्रित करने वाली टोली उनके घर पहुंची तब उन्होंने उन्हें रोककर उसमें सहयोग करने की इच्छा जाहिर की।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 08:44 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 08:44 PM (IST)
सोनभद्र की सीता के गुल्‍लक से निकली राम के प्रति आस्‍था, ढाई घंटे तक चली दान की गिनती
श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग साफ हुआ तो सीता देवी के खुशी का ठिकाना नहीं रहा

सोनभद्र, जेएनएन। 'हरि अनंत हरि कथा अनंत' की महिमा अनोखी है। उस पर भी आस्‍था का रुआब भारी है। जी हां, यकीन नहीं करेंगे मगर सोनभद्र की सीता को राम के आने का दशक भर से इंंतजार था। राम मंदिर बनने की जानकारी के बाद सीता के लिए मानो राम साक्षात सामने ही आ गए हों। दरअसल भगवान राम के प्रति आस्‍था को देखते हुए सीता ने दशक भर पहले से ही राम मंदिर के लिए पाई पाई जोड़ना शुरू किया था। अब मंदिर के लिए दान देने के लिए गिनती शुरू हुई तो ढाई घंटे तक का समय लग गया।      

वैसे तो श्रीराम के भक्त एक से बढ़कर एक हैं, लेकिन राबट्र्सगंज  के उत्तर मोहाल की सीता देवी उनसे थोड़ी अलग हैं। श्रीराम का भव्य मंदिर बने और उस मंदिर निर्माण में उनकी भी सहभागिता हो इसका सपना उन्होंने एक-दो नहीं बल्कि दस वर्ष पहले ही संजो रखा था। वर्ष 2010 से ही सीता देवी ने मंदिर निर्माण में अपना अंशदान करने के लिए पैसा एकत्रित करना शुरू कर दिया। वह अपने रोजमर्रा की बचत से कभी एक तो कभी दो रुपये एकत्रित करना शुरू की। इसके लिए उन्होंने बाकायदा गुल्लक बनाकर रखा था, जिस पर उन्होंने श्रीराम का नाम अंकित किया।

अब जब श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग साफ हुआ तो सीता देवी के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। रविवार को जब मंदिर निर्माण के लिए धन एकत्रित करने वाली टोली उनके घर पहुंची तब उन्होंने उन्हें रोककर उसमें सहयोग करने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद सीता देवी ने एक-एक करके आधा दर्जन गुल्लक बाहर लेकर आईं और उसे तोडऩा शुरू किया। यह देख वहां पर उपस्थित सभी राम भक्तों की आंखें नम हो गई, हो भी क्यों न ऐसे भक्त श्रीराम के विरले ही मिलते हैं। सारे गुल्लक तोडऩे के बाद उसमें से निकले एक-दो रुपये के सिक्के गिनने का काम शुरू हुआ। करीब दो से ढाई घंटे कड़ी मशक्कत के बाद नौ हजार 800 रुपये निकले।

सीता देवी अपने बेटों की तरफ देखते हुए बोलीं कि मेरी इच्छा थी कि कम से कम श्रीराम मंदिर के निर्माण में 11 हजार रुपये का योगदान दूं। अपनी मां कि बात सुन उनके छोटे बेटे शिवम केशरी ने अपने पास से बचे हुए पैसे देकर 11 हजार रुपये की रकम को पूरा किया। सीता देवी ने दैनिक जागरण को बताया कि उन्हें हमेशा प्रभू की शक्ति पर भरोसा था। एक न एक दिन श्रीराम अपने घर में जाएंगे इसी निश्चय के साथ वह धन एकत्रित कर रही थी। जिला संघचालक हर्ष अग्रवाल व जिला व्यवस्था प्रमुख कीर्तन सिंह ने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण में सीता देवी का स्नेह अटूट है और उनके भक्ति को हम लोग प्रणाम करते हैं। 

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