Health and fitness 'सिल्क कॉटन ट्री' बेहद फायदेमंद, कई रोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद सेमल
इस वक्त सेमल के वृक्षों पर फूल आसानी से दिख जाएंगे। ये देखने में काफी सुंदर लगते हैं इन्हें अंग्रेजी में सिल्क कॉटन ट्री और संस्कृत व आयुर्वेद में इसे शाल्मिली कहा जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। इस वक्त सेमल के वृक्षों पर फूल आसानी से दिख जाएंगे। ये देखने में काफी सुंदर लगते हैं इन्हें अंग्रेजी में 'सिल्क कॉटन ट्री' और संस्कृत व आयुर्वेद में इसे 'शाल्मिली' कहा जाता है। सेमल सौंदर्यवद्र्धक होने के साथ ही कई रोगों में फायदेमंद होता है। इसका फूल, तना, जड़, कांटा सब उपयोगी है। सेमल के वृक्ष के तनों में उगे कांटों को दूध में पीसकर मुख पर लगाने से चेहरे की कांति बढ़ती है और छाइयां दूर होती हैं। कभी कभी सेमल के वृक्ष का तना स्वयं फट जाता है जिसमें से गोंद निकलता है। इसके तने पर चीरा लगाने पर भी उसमें से गोंद निकलता है। इस गोंद को 'मोचरत' कहते हैं। इस गोंद का चूर्ण दंतमंजन में काम आता है। मुंह के छाले पर इसका चूर्ण लगाने आराम मिलता है। घाव वाले स्थान से अगर लगातार खून निकल रहा है तो वहां पर भी इसे लगाएं। डायरिया या खूनी बवासीर में 'मोचरत' का पाउडर बनाकर एक से तीन ग्राम चूर्ण सुबह पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
सेमल के कच्चे फल को पीसकर इसमें मधु या घृत के साथ सेवन से पुरानी खांसी दूर हो जाती है। अगर गीली खांसी हो तो फल के चूर्ण को मधु के साथ और अगर सूखी खांसी हो तो चूर्ण को घी के साथ खिलाएं। सेमल के कच्चे फल के चूर्ण से से किडनी में पथरी या अन्य मूुत्र रोगों में लाभ मिलता है। इसका चूर्ण या काढ़ा पीने से लाभ मिलता है।
सेमल का एक या दो वर्ष की आयु के छोटे वृक्ष की जड़ को 'सेमल मूसली' कहा जाता है। यह पुरुषों में पौरुष शक्ति बढ़ाता है एवं शुक्रवर्धक है। सेमल मूसली को सुखाकर उसका चूर्ण बनाएं। दस ग्राम चूर्ण को चीनी और पानी के साथ घोलकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।
सेमल के वृक्ष की छाल पीसकर अगर पुराने घाव में लगाया जाए तो फायदा होगा
सेमल के वृक्ष की छाल पीसकर अगर पुराने घाव में लगाया जाए तो फायदा होगा। जिन अंगों में जलन हो रही है वहां पर इसका लेप लगाने से लाभ मिलेगा। सेमल के फूल का रस या फूल का बनाया गया चूर्ण 'ब्लीडिंग डिसआर्डर' में प्रयोग किया जा सकता है। माहवारी में अधिक खून आना, नाक से खून आना, किसी प्रकार के रक्तस्त्राव, बवासीर में खून आने की स्थिति में तीन से छह ग्राम चूर्ण सुबह शाम पानी से पीना अत्यंत फायदेमंद है। किसी भी प्रकार के बवासीर में सेमल का एक फूल, एक चम्मच पोस्ते का बीज दूध में घोल लें। अगर डायबिटीज न हो तो चीनी भी मिला सकते हैं। इसे सुबह शाम लें।
-डा.केएन द्विवेदी, द्रव्यगुण विभाग, बीएचयू।