वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लाक में कर्मचारियों की कमी और वित्तीय अनुपलब्धता बनी समस्या
किसानों के कल्याण के लिए स्थापित सहकारी समितियां विभागीय लापरवाही के चलते वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लाक विकास खंड में हासिए पर आ गई हैं।
वाराणसी, जेएनएन। किसानों के कल्याण के लिए स्थापित सहकारी समितियां विभागीय लापरवाही के चलते स्थानीय विकास खंड में हासिए पर आ गई हैं। विकास खंड में कुल बारह साधन सहकारी समितियां तो हैं मगर इनमें से चार समितयां करसड़ा, फरीदपुर, भगवानपुर व विशुनपुर वर्ष 2012 से बंद पड़ी हैं।अधिकारियों द्वारा इसका कारण कर्मचारियों का अभाव व सरकार द्वारा वित्तीय सहायता की अनुपलब्धता बताई जा रही है। इन समितियों के बंद होने के चलते इनसे जुड़े किसानों को बगल के समितियों से संबद्ध किया गया है।
इतना ही नहीं विकास खंड में मौजूद दो सहकारी संघ मंडुआडीह व कंदवा का भी कुछ यही हाल है। यहां भी कर्मचारियों की कमी व वित्तीय सहायता के अभाव में काफी अर्से से बंद पड़ी हैं। कंदवा संघ व समिति का भवन भी खंडहर में तब्दील हो गया है, साथ ही सरहरी, रमना, फरीदपुर का भी भवन जर्जर हालत में है। खास बात यह कि संचालित कुल आठ समितियों का संचालन महज दो सचिवों के भरोसे किया जा रहा है। यही नहीं इनमें से एक सचिव तो आराजीलाइन ब्लाक के हैं जिन्हें यहां अटैच किया गया है।
अक्सर होता है विवाद
कर्मचारियों के अभाव में किसानों को परेशानी उठानी पड़ती है। कार्य का अधिक दबाव होने के चलते समितियों पर किचकिच अक्सर होती रहती है। कर्मचारी की कमी के चलते उर्वरक व्यवसाय, ऋण वितरण, वसूली, सदस्यता वृद्धि, निरीक्षण समेत एकमुश्त समाधान योजना का कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
अन्य कर्मचारियों की भी कमी
सचिव ही नहीं बल्कि अन्य कर्मचारियों का भी समितियों पर अभाव है। प्रत्येक समिति पर सचिव के अलावा लेखाकार, विक्रेता व चौकीदार होने चाहिए। मगर विकास खंड में महज लोहता समिति पर विक्रेता के अलवा संचालित हो रही किसी भी समिति पर कोई भी कर्मचारी नियुक्त नहीं है।
सचिवों व कर्मचारियों की कमी के चलते समितियों के संचालन में दिक्कत आ रही है
सचिवों व कर्मचारियों की कमी के चलते समितियों के संचालन में दिक्कत आ रही है। नवंबर-2019 और दिसंबर-2019 को नियुक्ति के संदर्भ में सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता को पत्र लिखा गया है।
-सुरेश कुमार, एडीओ सहकारिता।