अपने स्मारक में जीवंत होंगे लाल बहादुर शास्त्री, वीडियो प्रदर्शित करने के साथ ही बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का हिस्सा रामनगर देश-दुनिया में वैसे तो रामलीला के लिए जाना जाता है लेकिन इस उपनगर का जिक्र आते ही पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का अक्स आंखों के सामने जरूर उभर आता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 05:42 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:14 PM (IST)
अपने स्मारक में जीवंत होंगे लाल बहादुर शास्त्री, वीडियो प्रदर्शित करने के साथ ही बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का अक्स आंखों के सामने जरूर उभर आता है।

वाराणसी, जेएनएन। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का हिस्सा रामनगर देश-दुनिया में वैसे तो रामलीला के लिए जाना जाता है लेकिन इस उपनगर का जिक्र आते ही पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का अक्स आंखों के सामने जरूर उभर आता है। अपनी जीवटता से समय की शिला पर एक भरी पूरी चित्रावली उकेरने वाले शास्त्री जी की स्मृतियां अब उनके आवास में जल्द ही जीवंत रूप में नजर आएंगी। विनम्रता की मूरत और दृढ़ता के स्तंभ ने कैसे जो कुछ ठाना उसे पा लिया। दुश्वारियों भरे समय से किस तरह लोहा लिया, दो हाथ किया, उसे औकात बताते हुए एक गौरवशाली इतिहास रच दिया, यह सब स्क्रीन पर नजर आएगा।

इसमें उन्हें बोलते और डोलते हुए जमाना एक बार फिर देख-सुन पाएगा। इसके लिए संस्कृति विभाग लालबहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय के दूसरे हिस्से में आडियो -वीडियो हॉल बनाने की योजना बनाई है। इसमें लालबहादुर शास्त्री के जीव से जुड़ी फिल्मों को दिखाया जाएगा। सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ी क्लिप को भी निरख परख कर प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही लाइब्रेरी व सोवेनियर पटल आदि भी  विकसित विकसित किए जाएंगे। इसके लिए संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। माना जा रहा है जल्द ही इस पर स्वीकृति मिल जाएगी और कार्य शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि क्लिप जुटाने व उनके परीक्षण का कार्य शुरू कर दिया गया है।

बोलती दीवारें, सुनातीं दास्तान

फिलहाल, उनकी स्मृतियों के संग्रहालय रूप में संजोया गया पुराना रामनगर स्थित उनके आवास की दरो-दीवार उनसे जुड़ी हर दास्तान बता रही है। इसमें शास्त्री जी व उनकी पत्नी ललिता शास्त्री के दैनंदिन उपयोग में लाए गए सभी सामान तो हैं ही बाल्यकाल से अंतिम समय तक और फर्श से अर्श तक पहुंचने की पूरी कहानी भी तस्वीरों की जुबानी चस्पा हैं। भवन की एक-एक ईंट नन्हेंं (शास्त्री जी) के व्यक्तित्व की विशालता का अहसास कराती है। स्मृति भवन संग्रहालय में प्रवेश करते ही उनसे जुड़ी तमाम यादों की फोटो गैलरी सजी हैं। आगे बैठक कक्ष, आंगन में उनकी पत्नी ललिता शास्त्री की प्रतिमा, सामने शास्त्री जी का पूजा कक्ष, गाड़ी की फोटो, रसोई व उससे संबंधित सामान। ऊपर जाने पर शास्त्री जी का शयनकक्ष उनके रहन-सहन को दर्शाता है। वहीं आधुनिक लालटेन की टिमटिमाती रोशनी लोगों को आक?षत करती है।

डेढ़ दशक में सजा मेला

वर्ष 2004 में शास्त्री जी की जन्म शताब्दी वर्ष मनाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ङ्क्षसह यादव ने उनके आवास का अधिग्रहण कर राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा की। हालांकि वर्ष 2010 में बसपा सरकार में उनके पैतृक आवास का जीर्णोद्धार शुरू हो सका। इसमें उनके पैतृक आवास में थोड़े परिवर्तन के साथ मूल स्वरूप में विकसित किया गया। इससे सटे उनके रिश्तेदार के भवन को भी खरीद कर विस्तार दिया गया। वर्ष 2018 में 27 सितंबर को तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक व मुख्यमंत्री ने इसका लोकार्पण किया। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी व शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय के प्रभारी डा. सुभाष चंद्र यादव के अनुसार आडियो विजुअल हाल, सोवेनियर पटल व लाइब्रेरी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति के साथ ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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