Shardiya Navaratri 2020 : शक्ति की अधिष्ठात्री Devi Durga इस बार घोड़े पर आएंगी और भैंसे पर प्रस्थान

शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की पूजा-आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। देवी घोड़े पर आती हैैं जिसे कष्ट का सूचक माना जाता है। देवी का गमन रविवार को भैैंसे पर हो रहा है जो रोग व शोककारक है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 06:20 AM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 05:51 PM (IST)
Shardiya Navaratri 2020 : शक्ति की अधिष्ठात्री Devi Durga इस बार घोड़े पर आएंगी और भैंसे पर प्रस्थान
शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर शनिवार से आरंभ हो रहा है, जो 25 अक्टूबर तक चलेगा।

वाराणसी, जेएनएन। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की पूजा-आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। इस बार इसका आरंभ 17 अक्टूबर शनिवार से हो रहा है, जो 25 अक्टूबर तक चलेगा। महानिशा पूजा 23 को मध्य रात्रि में प्रशस्त है। अष्टमी व्रत 24 को तो नवमी व्रत 25 को रखा जाएगा। खास यह कि 25 को सुबह 11.14 बजे दशमी लग जाएगी, ऐसे में इसी दिन विजयदशमी भी मनाई जाएगी।

ख्यात ज्योतिषाचार्य व बीएचयू विश्वनाथ मंदिर के मानद व्यवस्थापक प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय के अनुसार माना जाता है कि शनिवार को देवी घोड़े पर आती हैैं जिसे कष्ट का सूचक माना जाता है। देवी का गमन रविवार को भैैंसे पर हो रहा है जो रोग व शोककारक है। नवरात्र अत्यंत शुभ एवं मंगलप्रद है। अत: इन सभी उपद्रवों का शमन देवी की आराधना से संभव है। इस निमित्त स्त्रोत पाठ, नाम संकीर्तन, भजन, गीत वाद्य, आरती, नारियल बलि, भोज, कन्या पूजन आदि किया जाता है। कहा गया है नवरात्रीणां समासर: नवरात्रम् अर्थात नवरात्रियों का समूह नवरात्र कहा जाता है जिसमें भगवती परांबा की पूजा-अर्चना की जाती है। शक्ति के बिना किसी भी प्रकार का पुरुषार्थ संभव नहीं। इस बार आश्विन मास में अधिमास के कारण शक्ति की आराधना का पर्व पितृपक्ष से एक माह बाद पड़ रहा है।

कलश स्थापन : नवरात्र आरंभ दिन कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त प्रात: 8.36 से 10.53 बजे तक है। कुछ विद्वानों के अनुसार अभिजित मुहूर्त भी कलश स्थापन के लिए शुभ माना जाता है। अभिजित मुहूर्त सुबह 11.38 से 12.23 बजे तक है।

पारन : नवरात्र व्रत का पारन 25 अक्टूबर को सुबह 11.14 बजे तक किया जाएगा। कुछ व्रती नवरात्र का पारन दशमी तिथि उदय कालिक करते हैैं, वे 26 को पारन कर सकते हैैं।  

पूजन विधान : नवरात्रारंभ तिथि प्रतिपदा यानी 17 अक्टूबर को प्रात: तैलाभ्यंग स्नानादि कर तिथिवार नक्षत्र, गोत्र, नाम आदि लेकर मां परांबा के प्रसन्नार्थ प्रित्यर्थ प्रसाद स्वरूप दीर्घायु, विपुल धन, पुत्र-पौत्र, श्रीलक्ष्मी, कीर्ति, लाभ, शत्रु पराजय समेत सभी तरह के सिद्यर्थ शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा और कुमारिका पूजन करूंगा का संकल्प करना चाहिए। गणपति पूजन, मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध इत्यादि के बाद मां परांबा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।

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