शनैश्‍चरी अमावस्या : न्‍याय के देवता भगवान शनि की कृपा प्राप्‍त करने का बनता है विशेष योग

शनि ग्रह नवग्रहों में प्रमुख स्थान रखता है भगवान सूर्य के सुपुत्र श्री शनिदेव जी की महिमा अनंत मानी गई है। शनि ग्रह की पूजा शनिवार के दिन विशेष फलित होती है। यदि शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग मिल जाए तो पूजा अधिक पुण्य फलदाई हो जाती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 09:37 AM (IST) Updated:Fri, 12 Mar 2021 01:55 PM (IST)
शनैश्‍चरी अमावस्या : न्‍याय के देवता भगवान शनि की कृपा प्राप्‍त करने का बनता है विशेष योग
भगवान सूर्य के सुपुत्र श्री शनिदेव जी की महिमा अनंत मानी गई है।

वाराणसी, जेएनएन। शनि ग्रह न्यायप्रिय ग्रह है शनि ग्रह नवग्रहों में प्रमुख स्थान रखता है भगवान सूर्य के सुपुत्र श्री शनिदेव जी की महिमा अनंत मानी गई है। शनि ग्रह की पूजा शनिवार के दिन विशेष फलित होती है। यदि शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग मिल जाए तो पूजा अधिक पुण्य फलदाई हो जाती है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि संयोगवश शनि देव के विशेष दिन शनिवार 13 मार्च को पड़ रही है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुक्रवार 12 मार्च को दिन में 3:03 पर लगेगी जो कि अगले दिन शनिवार 13 मार्च को दिन में 3:51 तक रहेगी। शनैश्‍चरी अमावस्या के दिन शनि ग्रह की विधि विधान पूर्वक की गई पूजा सुख समृद्धि कारक होती है। शनि ग्रह जनित दोषों से भी मुक्ति मिल जाती है। पितृदोष की शांति के लिए भी अमावस्या तिथि श्रेयस्कर मानी गई है। शनि अमावस्या के दिन कालसर्प दोष का निवारण करना विशेष मंगलकारी रहता है।

ज्योतिष आचार्य विमल जैन के अनुसार वर्तमान समय में मिथुन और तुला राशि पर शनि ग्रह की ढैया चल रही है जबकि धनु, मकर एवं कुंभ राशि पर शनि ग्रह की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनैश्‍चरी अमावस्या कठिन और विषम प्रभाव दिखाने वाली होती है। जनमानस को विश्व में अनेकानेक अप्रत्याशित विषम घटनाओं से रूबरू होना पड़ता है। प्राकृतिक एवं दैविक आपदाओं के साथ मौसम में भी अजीबोगरीब परिवर्तन देखने को मिलता है। यान, वाहन दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। विश्व के प्रशासकों को शासन चलाने में मुश्किलें आ सकती हैं। राजनेताओं में आपसी तालमेल का अभाव रहता है। राजनीति के क्षेत्र में नए समीकरण बनते हैं। शेयर मार्केट वादा कारोबार और बाजार में विशेष उथल-पुथल के साथ अन्य अकल्पित घटनाएं देखने को मिलती हैं। कहीं-कहीं जन आंदोलन का भी संकट बना रहता है।

शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न : आस्थावान व्रत कर्ता को सुबह स्नान ध्यान व अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद शनि व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण दिन निराहार रहकर सायं काल पुणे स्नान करके शनिदेव की विधि विधान पूर्वक पूजा करने के पश्चात उनको काले रंग की वस्तुएं जैसे काला वस्त्र, काला साबुत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएं अर्पित करना लाभकारी रहता है। इस दिन शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करना चाहिए तथा तेल की अखंड ज्योति जलाना उत्तम फलदाई माना गया हैद्य सायं काल शनिदेव के मंदिर में पूजा करके दीप प्रज्वलित करना चाहिए।

शनि ग्रह के मंत्रों का जप : मंत्रों का जप करना लाभदायक माना गया है। इस दौरान ओम शं शनैश्चराय नमः, ओम प्रां प्रीं प्रौं शनैश्चराय नमः, ओम प्रां प्रीं प्रौं शंशनैश्चराय नमः, ओम नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः, ओम ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः आदि मंत्रों का जाप करना चाहिए। शनि भगवान से संबंधित राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र शनि चालीसा का पाठ व शनि देव जी की आरती करनी चाहिए। इस दिन काली उड़द की दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए। साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। शनि ग्रह जनित दोषों के शमन के लिए अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव की विशेष पूजा अर्चना करके गरीबों में काले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

किन किन वस्तुओं का करें दान : शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान सायं काल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। दान करने से शनिदेव प्रसन्न होकर भक्तों को मंगल कल्याण के आशीर्वाद से अभिभूत करते हैं। जन्म कुंडली में शनि ग्रह की उत्तम स्थिति ऐश्वर्य एवं वैभव की प्रदाता होती है। व्यक्ति को समस्त भौतिक सुख मिलते हैं। जिन्हें जन्म कुंडली के अनुसार शनि ग्रह प्रतिकूल हो या शनि ग्रह की महादशा अनुकूल फल मिल रहा हो उन्हें अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करने के बाद शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जिससे उसका जीवन सुखमय होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान शिव जी व श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करने पर आरोग्य सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। 

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