वाराणसी में अन्नपूर्णा मंदिर में सत्रह दिवसीय महाव्रत अनुष्ठान का शुभारंभ, 20 दिसंबर को होगा समापन

मां अन्नपूर्णा मंदिर में महाव्रत शनिवार से शुरू हुआ। उप महंत शंकरपुरी ने 17 गांठ वाले धागे का सविधि पूजन किया। इसके बाद सुबह से ही मंदिर महंत के हाथों व्रती धरि भक्तों को धागा प्राप्त किया। दिन के दो बजे तक पूजित धागे का वितरण किया जाएगा।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 01:01 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 01:01 PM (IST)
वाराणसी में अन्नपूर्णा मंदिर में सत्रह दिवसीय महाव्रत अनुष्ठान का शुभारंभ, 20 दिसंबर को होगा समापन
मां अन्नपूर्णा मंदिर में महाव्रत शनिवार से शुरू हुआ

वाराणसी, जेएनएन। मां अन्नपूर्णा मंदिर में महाव्रत शनिवार से शुरू हुआ। उप महंत शंकरपुरी ने 17 गांठ वाले धागे का सविधि पूजन किया। इसके बाद सुबह से ही मंदिर महंत के हाथों व्रती धरि भक्तों को धागा प्राप्त किया। दिन के दो बजे तक पूजित धागे का वितरण किया जाएगा। धागा लेने के लिये स्थानीय श्रद्धालु समेत पूर्वांचल से भी भक्त पहुंचे। इस धागे को महिला बांये व पुरुष दाएं हाथ में धारण करते हैं। बड़ा ही कठिन महाव्रत माना गया है। एक समय ही बिना नमक के फलहार करते है जमीन पर सोते है।

इस कठिन व्रत के विषय मे महंत रामेश्वरपुरी ने कहा यह व्रत अनादिकाल से होता आ रहा है। जब राजा देवोदास को काशी में अकाल की जानकारी हुई कि किसी के पास अन्न नहीं बचा है जिस पर राज परिवार ने सत्रह दिनों तक कठोर व्रत किया। जिस पर मां अन्नपूर्णा प्रसन्न हुईं और काशी में अकाल की पूर्णावती हो गई इसी के बाद से इस व्रत की शुरूआत हुई।

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