दवा और फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए लेना होगा अलग-अलग लाइसेंस, वाराणसी में नए नियम का विरोध कर रहे हैं दुकानदार

दवा के थोक और फुटकर विक्रेता अब ड्रग लाइसेंस पर केवल जीवनरक्षक दवाएं ही बेच सकेंगे। बदले नियम के तहत एक जनवरी से फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए अब उनको अलग से लाइसेंस लेना पड़ेगा। अभी तक दवा दुकानदार दवा के साथ-साथ फूड सप्लीमेंट भी बेचते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:31 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:45 PM (IST)
दवा और फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए लेना होगा अलग-अलग लाइसेंस, वाराणसी में नए नियम का विरोध कर रहे हैं दुकानदार
दवा के थोक और फुटकर विक्रेता अब ड्रग लाइसेंस पर केवल जीवनरक्षक दवाएं ही बेच सकेंगे।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। दवा के थोक और फुटकर विक्रेता अब ड्रग लाइसेंस पर केवल जीवनरक्षक दवाएं ही बेच सकेंगे। बदले नियम के तहत एक जनवरी से फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए अब उनको अलग से लाइसेंस लेना पड़ेगा। अभी तक दवा दुकानदार दवा के साथ-साथ फूड सप्लीमेंट भी बेचते हैं। अब ऐसा करने पर उनका ड्रग लाइसेंस निरस्त हो सकता है। दवा विक्रेता संगठन नए नियम को लेकर विरोध कर रहे हैं। दवा विक्रेता अभी तक जीवनरक्षक दवाओं के साथ प्रोटीनेक्स, हेल्थ टानिक, च्यवनप्राश, शहद, मिल्क पाउडर, शुगर फ्री टेबलेट, ग्लूकोज सहित अन्य हेल्थ सप्लीमेंट और रोजमर्रा की चीजें बेचते हैं। नए नियमों का पालन नहीं करने पर दुकान का लाइसेंस निरस्त होने के साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। नई व्यवस्था एक जनवरी 2022 से लागू हो जाएगी। नियमों के तहत फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग से अलग लाइसेंस लेना होता है।

क्या है एफएसएसएआई में पंजीकरण का नियम

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के नियमों के अनुसार किसी तरह का पेय या खाद्य सामग्री बेचने के लिए खाद्य विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। यदि दुकानदार का वार्षिक टर्नओवर साढ़े 12 लाख तक है तो विभाग में केवल पंजीकरण कराने से ही काम चल जाएगा। इसका शुल्क सै रुपये है। वहीं इससे अधिक का वार्षिक कारोबार है तो दो हजार रुपये शुल्क जमा करके लाइसेंस लेना अनिवार्य है।

दवा और सप्लीमेंट फूड का रैक होगा अलग

दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष दिनेश कुमार और महामंत्री संजय सिंह ने थोक और फुटकर विक्रेताओं से अपील किया है कि 30 सितंबर तक दुकान में दवा और फूड सप्लीमेंट का रैक अलग-अलग कर लें। नए नियम के तहत दवा और फूड सप्लीमेंट की बिक्री पर अलग-अलग बिल जारी करना होगा। यदि किसी दुकान से बिके फूड सप्लीमेंट से कोई घटना घटती है तो उसकी सुनवाई अपर जिला अधिकारी (राजस्व) या जिला न्यायालय में होगी।

इसलिए दुकानदार कर रहे हैं विरोध

नए नियम को लेकर दवा दुकानदार विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक ही विभाग (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) से दो अलग -अलग लाइसेंस लेने का क्या औचित्य है। दवा और फूड सप्लीमेंट की अलग-अलग रैक बनानी होगी। जो संभव नहीं है। दवा और फूड सप्लीमेंट के अलग-अलग बिल छपवाने होंगे। एक ही ग्राहक को अलग-अलग बिल देना होगा। नया नियम परेशानी बढ़ाने वाला होगा।

38 सौ दवा की दुकानें हैं जिले में

80 फीसद दुकानदारोें के पास नहीं है खाद्य सुरक्षा विभाग का लाइसेंस

chat bot
आपका साथी