बलिया जिले में वर्षा जल संचयन के लिए 3180 स्थानों का चयन, योजना की रफ्तार धीमी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जल शक्ति अभियान कैच द रेन यानी वर्ष जल संचयन अभियान की शुरूआत करने के बाद से जल संचयन की दिशा में बलिया ने भी कदम बढ़ाया है लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता से अभी उम्मीदों को पंख नहीं लग पाए हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 06:50 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 06:50 AM (IST)
बलिया जिले में वर्षा जल संचयन के लिए 3180 स्थानों का चयन, योजना की रफ्तार धीमी
विभिन्न स्थानों पर 3180 रेन वाटर हार्वेस्टिंग के सिस्टम स्थापित करने के लिए स्थानों का चयन किया गया है।

बलिया, जेएनएन। जनपद के विभिन्न स्थानों पर 3180 रेन वाटर हार्वेस्टिंग के सिस्टम स्थापित करने के लिए स्थानों का चयन किया गया है। इसकी अनदेखी से अभी तक प्रक्रिया चल ही रही है। बेसिक शिक्षा विभाग के लगभग 2669 भवनों व विद्यालयों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था बनाई जा रही है। इसके साथ ही समस्त खंड विकास कार्यालय, जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के अधीन 481 स्थानों, जिला प्रशिक्षण अधिकारी कार्यालय, स्टेडियम, ट्रेजरी, अग्निशमन कार्यालय, पुलिस आफिस समेत विभिन्न स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के उपक्रम लगाने की कवायद चल रही है। जल संरक्षण के नोडल श्याम सुंदर यादव ने बताया कि एक स्थान पर सिस्टम लगाने में डेढ़ से दो लाख का खर्च आएगा। यदि छत एक हजार वर्ग फीट में है तो वहां एक घंटे की बारिश में लगभग सात क्यूबिक मीटर पानी जमा होगा। 

आम लोगों में भी नहीं जागरूकता

जल ‘जीवन का अमृत’ है। हमें वर्तमान व भावी पीढ़ियों के लिये जल संरक्षण की आवश्यकता है। यह बात सभी जानते हैं लेकिन शहर से गांव तक वर्षा जल सहेजने की दिशा में सभी लापरवाह हैं। नए मकान जहां भी बन रहे हैं, वहां रेन वाटर हार्वेटिंग सिस्टम लगाया जा सकता है लेकिन सरकारी तंत्र भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। बलिया में इसकी शुरूआत सरकारी भवनों से होनी थी। पिछले साल से ही इसकी प्रक्रिया चल रही है लेकिन जिम्मेदार ही लापरवाह हैं।

वर्षा जल संग्रहण

वर्षा के बाद इस पानी को उत्पादक कार्यों के लिए उपयोग हेतु एकत्र करने की प्रक्रिया को वर्षा जल संग्रहण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में आपकी छत पर गिर रहे वर्षा जल को सामान्य तरीके से एकत्र कर उसे शुद्ध बनाने के काम को वर्षा जल संग्रहण कहते हैं।

बोले अधिकारी : शासन के निर्देशानुसार स्थानों का चयन किया गया है। संबंधित विभागों से लगातार पत्राचार व संपर्क कर इसमें आगे की कार्रवाई की जा रही है। जो विभाग अनदेखी कर रहे हैं उन्हें रिमाइंडर भी भेजा जा रहा है। - श्याम सुंदर यादव, नोडल अधिकारी, जल संरक्षण (सहायक अभियंता लघु सिंचाई)।

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